रतजगा कर शबे-कदर पर मरहुमों के लिए हुई दुआ
उमरिया। बरकतों और रहमतों की बारिश का महीना रमज़ान की 27 वी तारीख को मुस्लिम भाइयों ने शबे कदर मनाया। इस मौके पर मुस्लिम भाइयों ने पूरी रात इबादत और तिलावत कर सुबह कब्रस्तान गए, जहाँ अपने सगे सम्बन्धियों, रिश्तेदारों, अजीजो अकारीब के कब्र गाह में फातिहा पढ़ी और उनके गुनाहों की मगफिरत के लिए दुवाएं की। इस खास मौके पर तरावीह की नमाज़ अदा कर रहे हाफिजों का सम्मान और इस्तकबाल किया गया।
गौरतलब है कि 2 अप्रैल से रमज़ान का पवित्र माह शुरू है,इस पूरे माह 30 दिनों तक मुस्लिम भाई-बहन रोज़ा रखते है,और इबादत में मशगूल रहते है। मुस्लिम धर्मावलंबियों की मान्यता है कि इस माह बरकतों और रहमतों की बारिश होती है, एक नेकी के बदले 70 नेकिया नामे-अमाल में जुड़ जाती है।
मस्जिदों में हुई अलविदा नमाज़
मुख्यालय स्थित दोनो मस्जिदों के अलावा जिले में चंदिया, नोरोजाबाद, पाली, मानपुर, अमरपुर, मेढकी, चिल्हारी सहित क़ई स्थलों में अलविदा नमाज़ अदा की गई, इस मौके पर मस्जिद के इमाम ने मुल्क की बेहतरी और अमन के लिए दुवाएं की।
विदित हो कि रमज़ान माह के आखरी जुमा को अलविदा कहते है, इस मौके पर इमाम ने सभी मुस्लिम भाइयों को ईद की नमाज़ से पहले ज़कात और फितरा का पैसा गरीबो को तकसीम करने की हिदायत दी। दरअसल रमजान का पवित्र महीना अपने आखिरी दौर में है,गरीबो का हक ज़कात और फितरा का पैसा वक्त पर उनको मिल जाएगा, तो उन्हें भी सहूलियत होगी। गर्मी की तेज तपिश और भूख-प्यास पर सब्र यही रोज़ा है, इस बीच सिर्फ भूख प्यास पर ही सब्र नही रखना है बल्कि शरीर के हर हिस्सों को काबू में रखते हुए इबादत में मशगूल होना ही सही अर्थ में रोज़ा है।
रमज़ान के इस पवित्र माह में रोजेदार भूखे प्यासे रहते हुवे अपने सभी काम को सहजता से करते हुए इबादत में वक्त गुजारते है। अंग्रेजी माह के मई महीने की 2 या 3 तारीख को ईद होने की बात कही जा रही है, हालांकि चांद के दिखने के बाद ही ईद मनाई जानी है।
What's Your Reaction?