बड़ा भ्रष्टाचार : CMHO ने मलाई छानी और फंसे तो कर दिया इंकार
उमरिया। उमरिया में भी अजीबों गरीब मामले देखने और सुनने में आते हैं, यहां का स्वास्थ्य महकमा हमेशा से सुई की नोक पर रहा है, कभी अपने कारनामों से तो कभी कागजी हेरफेर के लिए जमकर मशहूर हो चुका है। अब एक नया मसला समाने आया है, जब राष्ट्रीय मिशन संचालक ने संविदा कर्मचारी जवाहर विश्वकर्मा को निलंबित कर दिया है, उन पर आरोप है कि उन्होंने बिना काम के ही अपनी पत्नी के नाम पर लाखों रुपए का भुगतान कर दिया है॥ मजे की बात तो यह है कि जब तक मलाई मिलती रही तब तक स्वास्थ्य विभाग के मुखिया भष्ट्राचार से किनारा बनाये हुए थे मगर जैसे ही तलवार जवाहर के गले तक पहुंची तो साहब ने ऐसी कन्नी काटी कि जिस जवाहर के दम पर साहब ने ऐश किये हैं, उसी के खिलाफ प्रतिवेदन दे दिया, जबकि विभाग के मुखिया की सहमति के बगैर एक नये पैसे का भष्ट्राचार नही किया जा सकता है।
स्वयं किया सप्लाई, खुद बनाया बिल और खुद सत्यापन किया और कर दिया भुगतान
कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव द्वारा कराई गई जांच में यह बात सामने आई है कि संविदा कर्मचारी जवाहर विश्वकर्मा की पत्नि के नाम दर्ज फर्म *सिराज इंटरप्राइजेज* को बिना टेंडर के काम दिया और बिना सप्लाई के बिल लग गये और स्वयं ही सत्यापन कर बिलों का लाखों रुपए भुगतान कर दिया, हालांकि इस बात की भनक CMHO को होने के बाद भी उन्होंने कोई एक्शन नही लिया और मलाई में हाथ फेरते रहे, जबकि भुगतान जब हुआ तो बड़े साहब के हस्ताक्षर भी हुए होगें, मगर भष्ट्राचार की गंगा में डुबकी लगाने के लिए सभी आतुर थे और जब अपनी पर बनी तो भष्ट्राचार की जानकारी नही होने की बात कह दी॥
जुलाई 2021 में खरीदी और भंडार गृह को पता चला दिसंबर में
प्रतिवेदन अनुसार वर्ष 2021 जुलाई में उक्त खरीदी आदेश जारी किया गया, जिन कामों और सामग्री का बिल लगाया गया वह सामग्री भंडार गृह में थी ही नही और न ही रजिस्टर में इंद्राज किया गया, इस बात की जानकारी भंडार गृह प्रभारी ने दिसंबर 2021 को CMHO को दी, इसके पहले न तो मुखिया ने जानकारी ली और न ही भंडार गृह से कोई पत्र लिखा गया, जबकि अगर सामग्री नही मिली थी तो इस बाबत पत्राचार होना चाहिए था॥ साहब ने पहले ही भुगतान कर अपना हिस्सा किनारे कर लिया और जब जवाहर फंसा तो हर आदेश पर पर्दा डाल दिया॥ बहरहाल जो भी हो सरकार के करोड़ों रुपये के गोलमाल में उमरिया का स्वास्थ्य महकमा हमेशा से आगे रहा है, सुविधाओं के नाम पर टेंडर तो निकाले जाते हैं मगर वह पेमेंट किसे और कहां हो रही है, इसकी जानकारी चुनिंदा कर्मचारियों को ही रहती है॥ जवाहर विश्वकर्मा को निलंबित कर दिया गया है और जांच जारी है॥
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