वाहन रैली निकाल लटेरी मामले में सैकड़ो की तादात में वन कर्मचारी संघ ने सौंपा ज्ञापन
डिपार्टमेंटल इन्क्वारी और मजिस्ट्रेटियल जांच से पहले क्यों हुई लटेरी मामले में जुड़े वन कर्मी की गिरफ्तारी-संघ
उमरिया। विदिशा में वन कर्मी के विरुद्ध एफआईआर से नाराज़ मप्र वन कर्मचारी संघ ने राज्यपाल के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन सौंपने से पूर्व सैकड़ो की तादात में वन कर्मी जुलूस के रूप में गगनभेदी नारे लगाते हुए वाहन रैली निकाले।
दरअसल इसी माह 9 अगस्त को विदिशा जिले के ग्राम खटायपुरा के वन परिक्षेत्र दक्षिण लटेरी में वन कर्मी ने आत्मरक्षार्थ गोली चला दी थी, इस घटना में एक की मौत हो गई थी और कुछ लोग घायल भी हुए थे। इसी घटना पर लटेरी थाना अंतर्गत वन कर्मी के विरुद्ध अपराध कायम हुआ है, जिससे नाराज संघ ने ज्ञापन सौंपा है।
इस मामले में वन अमले की माने तो मुखबिर की सूचना पर दक्षिण लटेरी में वन अधिकारियों के निर्देशन में दबिश दी गई थी, उस दौरान वन माफिया सक्रिय हो गए थे और वन कर्मियों पर पत्थर बाजी, गोफन सहित अन्य हथियारों से हमले का प्रयास कर रहे थे, तभी आत्मरक्षार्थ गोली चलानी पड़ी, जिसमे एक वन माफिया की मौत हो गई थी, इसके अलावा तीन घायल भी हुए थे, इस मामले में लटेरी पुलिस ने वन कर्मियों के विरुद्ध धारा 1187/22 धारा 302,307,34 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है।
संघ का कहना है कि निर्धारित मानक प्रक्रिया/प्रोटोकाल के तहत मजिस्ट्रेटियल जांच उपरांत दोषियों के विरुद्ध विधि संगत कार्यवाही की जानी चाहिए थी, पर विदिशा प्रशासन ने ऐसा कुछ नही किया, बल्कि मप्र शासन ने 25 लाख की आर्थिक मदद एवम आश्रित परिवार में एक सदस्य को शासकीय सेवक की घोषणा कर दी है, जिससे कही न कही वन कर्मियों का मनोबल गिरा है।
एफआईआर निरस्त की जाए
लटेरी घटना से छुब्ध मध्य प्रदेश के सम्पूर्ण वन सेवको ने राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को मिलने वाले प्रशस्ति पत्र के सामूहिक बहिष्कार के बाद वन सुरक्षा एवम आत्मरक्षा के लिए मिले अस्त्र-शस्त्रों को प्रत्येक जिले मुख्यालयों के वन मंडल कार्यालयों में 16 अगस्त को विरोध स्वरूप जमा करा दिए है। संघ का कहना है कि इस मामले में अंतिम संरक्षण उपचार तक वापिस नही लिया जाएगा।
इस पूरे मामले में संघ की मांग है कि दर्ज एफआइआर निरस्त की जाए, विभागीय एवम मजिस्ट्रेटियल जांच उपरांत कार्यवाही के लिए निर्देशित किया जाए एवम गिरफ्तार वन सेवको के जमानत का व्यय शासन,प्रशासन व्यय करे साथ ही अन्य शासकीय सेवको की गिरफ्तारी पर रोक लगाई जाए। इसके अलावा अपराधियों द्वारा वन हानि से होने वाली नुकसानी राशि को वन कर्मियों से वसूलने स्पष्ट एवम प्रभावी निर्देश दिए जाएं। वन कर्मियों के इस तरह विरोध प्रदर्शन से वन माफिया वन क्षेत्र में सक्रिय हो सकते है, जिससे वनोपज सहित वन्य प्राणियों पर बड़ा खतरा हो सकता है, वही वन सुरक्षा पर भी बड़ा सवाल बन सकता है। निश्चित ही प्रशासनिक स्तर पर मामले से जुड़े संघ की मांगों पर विचार करने की ज़रूरत है।
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