घोघरी जलाशय का खतरा टला, विभाग जुटा पानी निकासी सही करने

Aug 23, 2022 - 18:18
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घोघरी जलाशय का खतरा टला,  विभाग जुटा पानी निकासी सही करने

उमरिया।  रविवार-सोमवार की दरमियानी रात बरसात में हुई आंशिक गिरावट से घोघरी जलाशय में आया खतरा फिलहाल टल गया है।

          सूत्रों की माने तो विभागीय अमले की निगरानी में जलाशय के पूर्वी क्षेत्र में मशीन आदि की मदद से कट लगाया जा रहा है, जिसके बाद क्षमता से अधिक पानी जलाशय से बाहर कर दिया जाएगा, बताया यह भी जाता है कि बरसात के बाद विभाग उक्त जलाशय का मेन्टेनेन्स भी करेगा।

          कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव की माने तो नीमहा, पठारी एवम बड़खेड़ा एवम घोघरी जलाशय के डाउन में बह रही नदी के आस-पास रहवासियों को सुरक्षा के लिहाज से रविवार की दरमियानी रात विद्यालय में रखा गया था, सुबह सभी अपने गांव पहुंच गए है।उन्होंने यह भी कहा कि विशेषज्ञों एवम टेक्निकल एक्सपर्ट्स से ज़रूरी सलाह भी ली जा रही है।

          विदित हो कि लगातार बारिश से घोघरी जलाशय लबालब हो गया था,अत्यधिक भराव होने की वजह से कुछेक जगहों से सीपेज भी हो रहा था,जानकारी पर रविवार की दोपहर से सम्बंधित विभागीय अमला सक्रिय हुआ,और विभागीय स्तर पर कारणों पर समीक्षा की गई।इस बीच घोघरी जलाशय के इर्द गिर्द ग्राम वासियों में हड़कंप मच गया और दहशत में ग्रामीण गांव से दूर हो गए। 

कलेक्टर ने रात भर की फील्डिंग

          कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने पूरे मामले को गम्भीरता से लिया,बताया जाता है कि सर्वप्रथम जलाशय के निकासी द्वार का निरीक्षण किया गया,और उसे ओपन किया गया,जिसके बाद जलाशय के भराव में आंशिक गिरावट आने लगी।इस बीच ग्राम वासियों को दो अलग अलग विद्यालयों में रुकने की व्यवस्था की गई।

          विदित हो कि कोतवाली थाना अंतर्गत घोघरी जलाशय के निर्माण के बाद से ही गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे थे,सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शिकवा शिकावत भी की, निर्माण के कुछ वर्ष उपरांत भी इस जलाशय में सीपेज होने की बात सामने आई थी।

          उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 में करींब 20 करोड़ लागत से  2.74 मिलियन क्यूबिक मीटर क्षमता वाले घोघरी जलाशय का निर्माण प्रारम्भ किया गया था, करींब 5 वर्ष उपरांत उक्त जलाशय पूर्णतः की स्थिति लिया था।  निर्माण के महज 3 सालों में ही सीपेज का मामला कही न कही विभागीय स्तर पर लापरवाही का बड़ा कारण माना जा रहा है,इसके अलावा मछुआरों द्वारा निकासी द्वार पर जाल लगाना,और विभाग की जानकारी में नही होना भी बड़ी विभागीय चूक के रूप में देखा जा रहा है।

    

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