2022 यानी 6 सालों से जड़ें जमाता रहा भ्रष्टाचार......
भोपाल। सूत्रों की माने तो भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश संभव है, बस सुशासन को सख्ती से फॉलो कर दिया जाय। CMHO ट्रेपकाण्ड की जांच फ़िलहाल लोकायुक्त के पाले में है।
हालांकि यहाँ 6 सालों से चल रही घोटाले की जाँच इधर से उधर होते-होते साहब समेत सबके सब वर्षों से सूम साधे बैठे हैं... नतीजन देखते ही देखते अगला छिंदवाड़ा से वाया बैतूल नर्मदापुरम के स्वास्थ्य में बेखौफ लाखों के गोले पर गोले बनाता चलागया।
भ्रष्टाचार की जड़ें 6 साल पहले ही मुख्यचिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय बैतूल से निकलकर सीधे मंत्रालय से जाजुड़ी थी।
दरअसल वर्ष 2016 में तत्कालीन बैतूल कलेक्टर ने घोटाले के मास्टरमाइंड डॉ प्रदीप मौजिस को भ्रष्टाचार में लिप्त पा लिया था। जाँच में प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश शासन, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण स्वास्थ्य मंत्रालय से कार्यवाही की मांग हुईथी, (पत्र क्रमांक (पृ.क्रमांक.4/शिका/सेल.5/बैतूल/एफ.73/2016) सूत्रों से मिले पत्र बता रहे हैं डॉ मौजिस द्वारा जननी सुरक्षा में बकायदा टेंडर के जरिये लगे देवांश ट्रेवल्स एजेंसी के वाहनों में सैटिंगबाजी से लाखों के भुगतान में भ्रष्टाचार को मूर्त रूप दिया गया था फ़िलहाल जाँच वेंटिलेटर खरीदी तक रुख करने को है।
हाल ही में नर्मदापुरम के स्वास्थ्य में लोकायुक्त के छापे से सुर्खियों में आये डॉ मौजिस को लेकर धीरे धीरे अब तमाम बातें उजागार होने को हैं,,,
इस दफा सूत्रों ने खुलासे के साथ दावा किया है कि अब स्थानीय जिम्मेदारों को बरगलाने के बजाय साल 2000 से ही डेमसिस्टम का डेटा अबतक उलटकर देखा जाए तो मिलीभगत की बड़ी सैटिंगबाजी उजागर होगी, जिसकी जाँच की लपटें कई ब्लाक के बीएमओ सहित डीपीएम को लपेटे में ले सकती हैं।
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