दगना कुप्रथा से शिशु की मौत मामले में एक्शन में आए कलेक्टर, परियोजना अधिकारी सहित पर्यवेक्षक को नोटिस जारी
उमरिया। आदिवासी बाहुल्य जिला उमरिया में दो छोटे बच्चे शिशुओं को गर्म सलाखों या गर्म चूड़ियों से दागने से हुई मौत मामले में कलेक्टर ने बड़ा एक्शन लिया है। कलेक्टर ने न सिर्फ इसके लिए ग्रामीण इलाकों में जन जागरूकता अभियान से लोगो को जागरूक कर रहे हैं, बल्कि इसके लिए जिम्मेदार विभाग महिला बाल विकास के 2 परियोजना अधिकारियों को कारण बताओं नोटिस भी जारी किया है।
दरअसल ग्रामीण इलाकों में खासकर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में आज भी छोटे नौनिहाल बच्चों को निमोनिया जैसी बीमारी होने पर उनके पेट को गर्म सलाखों या गर्म चूड़ियों से दागा जाता है। जिसे दगना कहते हैं। लेकिन अंधविश्वास और इलाज के अभाव में ग्रामीण क्षेत्र के लोग अपने छोटे बच्चों को दागना जैसी कुप्रथा को अपनाए हुए हैं हालांकि इसके लिए शासन स्तर पर भी खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान जैसे कई प्रोग्राम चल कर लोगों को जागरुक कर रहे हैं। लेकिन अंधविश्वास का मकड़जाल इतना गहरा और जबरदस्त है कि आज भी ग्रामीण क्षेत्र के आदिवासी ग्रामीण इस कुप्रथा से बाहर निकलने का नाम नही ले रहे। उमरिया जिले के ग्रामीण इलाके सहित शहडोल अनूपपुर और डिंडोरी जिले के ग्रामीण इलाके के आदिवासियों में यह परंपरा पनपी हुई है। जबकि शहडोल जिले के अंतर्गत दागना से हुई बच्चों की मौत मामले में बच्चों के मां-बाप और दागने वाले व्यक्ति के खिलाफ FIR भी दर्ज कर कानूनी कार्यवाही की गई है।
जिला उमरिया के बिजौरी ग्राम पंचायत के अंतर्गत ग्राम कठार निवासी दीपू बैगा की तीन माह की पुत्री की मौत उसके शरीर में गर्म लोहे और चूड़ियों से दागने से होना बताया गया है। जिसकी मौत इलाज के दौरान शहडोल के मेडिकल कॉलेज में हुई थी। इस मामले में कलेक्टर के द्वारा महिला बाल विकास के मानपुर परियोजना अधिकारी और पर्यवेक्षक को कारण बताओं नोटिस जारी किया है। नोटिस जारी होने के तीन दिन के भीतर जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
What's Your Reaction?