पूर्व कलेक्टर से सांठगांठ कर एक बाबू और एक दलाल ने कैसे की रिश्वतखोरी, धारणाधिकार मामले में रेडक्रॉस के नाम धांधली
धारणाधिकार स्कैम
उमरिया। जिले में पूर्व कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव के द्वारा अपनी मूक सहमति के चलते कलेक्ट्रेट का एक बाबू और एक दलाल के द्वारा धारणाधिकार के तहत मिलने वाले भू अधिकार पत्र पट्टा में एक नए तरीके की धांधली की है। जिसमें लोंगो से रेडक्रॉस के नाम रिश्वत लेकर लाखों रुपए की हेराफेरी की गई है। जिले भर में और शहर में इस बात की चर्चा चारों ओर है कि किस कदर धारणाधिकार के मामले में बड़े पैमाने पर रिश्वतखोरी की गई है। रेडक्रॉस में पैसे जमा कराने के नाम पर लोगों को लूटा गया है।
पूर्व कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव के द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान पूरे समय खुद को ईमानदार और बाकी सभी अधिकारी-कर्मचारियों को चोर कहने और उन्हें साबित करने में लगे रहे। लेकिन असली बात समझ में तो तब आई जब उन्हें यहां से हटाया गया उसके बाद उनके द्वारा किये गए एक नए तरीके का भ्रष्टाचार और धांधली सामने आई है। उनके द्वारा शुरू से ही किसी भी मामले में चाहे वह खनिज का हो या राजस्व, नजूल के हो, उनके द्वारा रेडक्रास में पैसा जमा कराया जाता रहा है। बाद में जब जमा कराई गई रकम लाखों और करोड़ों में पहुंच गई तब इनके द्वारा अपने चहेते विभागों से कमीशन की सांठगांठ कर उस पैसे का आवंटन कर दिया गया।
धारणाधिकार के मामले में भी रेड क्रॉस में पैसा जमा कराने के नाम पर जमकर धांधली की गई है। पूर्व कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव के द्वारा धारणाधिकार के तहत लोगों को पट्टा देने का काम उन्होंने अपने स्थानांतरण के दूसरे दिन किया। लोगों ने बताया उनके चहेते कलेक्ट्रेट के दर्शिमा नामक एक बाबू और एक उनके खासमखास दलाल ने इस पूरी धांधली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
दरअसल इनके द्वारा धारणाधिकार के तहत लोगों के द्वारा दिए गए आवेदन पर उन्हें पट्टे देने का काम तत्कालीन कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव के स्थानांतरण के दूसरे दिन शुरू हुआ। कलेक्ट्रेट के कथित बाबू और एक दलाल ने तत्कालीन कलेक्टर से सांठगांठ करके लोगों को फोन करके बुलाया गया और उन्हें समझाया गया कि आपके प्रकरण के संबंध में चर्चा पूरी हो चुकी है। आप धारणाधिकार शुल्क के अलावा रेडक्रास में डेढ़ से 2 लाख रुपये जमा कराने की व्यवस्था करो।
जिसके बाद कुछ लोगों के द्वारा तो उनके द्वारा कही राशि उपलब्ध कराई गई। लेकिन कुछ लोगों के द्वारा इतने रुपए नहीं होने की बात कही गई। जिसमें कथित लोगों ने उनसे सीधे तौर पर राशि कम करके उनसे रिश्वत की मांग की गई। राशि कम होने के उपरांत लोंगो उन्हें घूंस की रकम दी जिसके बाद उनके पट्टे जारी कर दिए गए। इस पूरे मामले में कलेक्ट्रेट का दर्शिमा नामक एक बाबू और एक दलाल की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इस पूरे मामले सबसे खास बात यह कि जिन्होंने रेडक्रॉस में जमा कराने के नाम पर रिश्वत नही दी उनके आवेदन और प्रकरण में ध्यान नही दिया गया। जबकि कई जरूरत मंद,जायज तौर धारणाधिकार के तहत आवेदन किया था लेकिन उनके द्वारा रिश्वत नही देने के कारण उनके प्रकरण को निरस्त कर दिया गया या उन पर विचार ही नही किया गया।
चूंकि यह पूरा मामला जिले और शहर के लोंगो से सीधा जुड़ा है।इस बावत यह सारी बाते पूरे शहर में आम चर्चा बन चुकी है।लोंगो का यह भी मानना है कि जिस तरह इस पूरे मामले में धांधली बरती गई है और लोंगो से सीधे तौर पर रिश्वत लेकर काम को अंजाम दिया गया है। ऐसे में नवागत कलेक्टर महोदय क्या इस पूरे मामले का संज्ञान लेंगे। लोंगो ने इस पूरी प्रक्रिया को निरस्त करने और जांच कराकर दोषियों पर कार्यवाही करने की मांग की है।
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