पुलिस वाली चिट्ठी ने मचाया हड़कंप
होकर रहेगा भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश
मध्यप्रदेश/छिंदवाड़ा। आशा पर्यवेक्षक नियुक्ति घोटाले में अब यूटर्न आ गया है। कोरोना की आड़ में भ्रष्टाचार की जांच तक लटकी हुई थी। धीरे-धीरे लम्बी चली जांच से आखिरकार भ्रष्टाचार का जिन्न निकलकर सामने आ ही गया ! इस भर्ती घोटाले में आशा और बीसीएम के बीच हुए लाखों के लेनदेन में बिचौलिआ पर्यवेक्षक को बर्खास्त करने का सनसनीखेज फरमान सामने आया है। आगे जल्द ही मामले में बड़ी कार्यवाही के आसार नजर आ रहे हैं।
आपको बता दें कि छिंदवाड़ा जिले के मोहखेड़ ब्लॉक बीसीएम दीपक मरकाम और लॉस की आशा माया नारनौर के बीच हुए 2,50000 रुपयों के लेनदेन की सौंसर एसडीएम जांच में बीसीएम की करीबी (आशा-पर्यवेक्षक) लता अम्बोलकर पर जल्द ही गाज गिर सकती है। मामले की गंभीरता को देखते हुए मोहखेड़ पुलिस ने स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारीयों से लौटती डाक से जवाब मांगा है। सीधे तौर पर कहा जाय तो पुलिस जांच फिलहाल फिरसे रफ्तार में देखी जा रही है।
इधर आशा के मूल दस्तावेज किसने किए गायब ?
आशा पर्यवेक्षक उम्मीदवार माया नारनौरे की माने तो बीसीएम को नियुक्ति के लिए प्रस्तुत किये गए मूल दस्तावेजों का सत्यापन अब तक नहीं हो पाया है। लाखों रुपये तक ऐंठ लिए गए। आशा के योग्यता संबंधी मूल दस्तावेज उसे वापस नहीं क्यों नहीं किये जा रहे हैं। सवाल बेहद गंभीर है? सूत्र बताते हैं कि स्वास्थ्य विभाग कार्यवाही को अंजाम तक पहुंचाने के बजाय मिलीभगत करके कइयों की अंकसूचीयां और एसडीएम की जांच को दबाए बैठा है।
कब तक भटकेगी आशा ?
कोविड काल में तमाम नियम कायदों को ताक में रखकर नियमविरुद्ध तरीके से ब्लॉक में जरूरत से ज्यादा आशाओं की भर्ती की गई थी । लेकिन उनसे अब काम क्यों नहीं लिया जा रहा है यह भी जांच का विषय बना हुआ है ? जानकारी के मुताबिक कई आशाएं हैं जो आये दिन बीएमओ कार्यालय के चक्कर काट रहीं है लेकिन जिम्मेदार संतोषप्रद जवाब देने के बजाय उन्हें ऐसा बोलकर बरगला रहे हैं, कि तुम्हे रुका हुआ पूरा वेतन मिलेगा क्योंकि तुम्हे विभाग से नहीं निकाला गया है । जिम्मेदारों की इस तरह की बयानबाजीयों से कहीं न कहीं समूचे स्वास्थ्य विभाग पर सवालिया निशान लग रहे हैं ?
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