उप संचालक पशु सहित कलेक्टर की भी पेशी हाईकोर्ट में ...

Jan 24, 2025 - 22:17
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उप संचालक पशु सहित कलेक्टर की भी पेशी हाईकोर्ट में ...

के के पाण्डेय के गबन का ठीकरा कलेक्टर पर, 16 फरवरी को है पेशी 

उमरिया।  लाखों रुपए के गबन को लेकर जिले के अधिकारियों ने पशु चिकित्सा विभाग के उप संचालक के के पाण्डेय को तो बचा लिया लेकिन अब मामला हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है और 16 फरवरी को कलेक्टर उमरिया व उप संचालक पशु को हाजिर होने का आदेश दिया है। इस पूरे प्रकरण में दोषी को तो दंड मिलना ही है मगर अब कलेक्टर भी हाईकोर्ट की जद में आ चुके हैं जिसका जबाब देने में आनाकानी हो रही है और पेशी दिनांक को बढ़वाया भी जा रहा है।

हालांकि अभी हाल की पेशी 16 फरवरी को है - 

          जिस पर कलेक्टर और उप संचालक पशु को पहुंचना है। इस मामले में कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए कहा भी है कि अपने स्वयं के द्वारा किये गये गबन को एक बाबू के सिर मढ़ देना गलत है और इसकी जांच की गई है तो कलेक्टर को इस पर कड़ी कार्यवाही सुनिश्चित करनी चाहिए।

क्या है मामला

          पशु चिकित्सा विभाग में वर्ष 2023-24 में पशुओं की दवाई खरीदी और विभाग की अलग अलग विल्डिंगों पर मरम्मत का कार्य किया गया है जिसमें लाखों रुपए का भ्रष्टाचार किया गया है जिनके न तो बिल हैं और न ही ऐसे कोई भी दस्तावेज मिले हैं जो यह साबित कर पाये कि लाखों रुपए कहां और क्यों खर्च किये गये हैं। शिकायतों के बाद जब उप संचालक पशु फंसने लगे तो अपना आरोप विभाग के बाबू के सिर पर मढ़ दिया गया और उन्हें निलंबित करने की तैयारी कर ली। 

          मामले के बाद उक्त पीड़ित बाबू ने हाईकोर्ट की शरण ली, जिस पर माननीय न्यायालय ने स्टे देते हुए बाबू को राहत प्रदान की है वहीं पीड़ित ने यह भी माननीय न्यायालय को बताया है कि उसे किसी भी बिल को पास करने का अधिकार ही नहीं हैं, इसके अलावा इनके द्वारा किये गये गबन की तमाम शिकायत व समाचार पत्रों में छपी गबन की खबरों की कतरन भी हाईकोर्ट में सम्मिट की गई है। इसके पूर्व शिकायत कर्ता की शिकायत पर जिला पंचायत सीईओ की निगरानी में एक जांच समिति का गठन किया गया है जिसने जांच प्रतिवेदन सौंपा और पाया है कि तय दवाई खरीदी के बाद भी लाखों रुपए की दवाई खरीदी गई जिसमें गबन किया गया है साथ ही पशु विभाग की कई विल्डिंगों का मरम्मत का कार्य कराया गया जिसमें भारी भ्रष्टाचार किया गया है। यह रिपोर्ट सीईओ जिला पंचायत के माध्यम से कलेक्टर को सौंपा दी गई लेकिन राजनीतिक दखल के कारण दोष सिद्ध पाये गये मामले में पुनः जांच करने का आश्वासन दे दिया गया और दूसरे जांच अधिकारी ने पूरे मामले में लीपापोती कर डाली है।

          बहरहाल मामले में पशु चिकित्सा सेवाएं के उप संचालक के के पाण्डेय की हुई दो दो जांचों के प्रतिवेदन कलेक्टर के पास पहुंच चुके हैं जिस पर अंतिम कार्यवाही करना अभी बाकी है। वहीं मामले में माननीय उच्च न्यायालय ने के के पाण्डेय द्वारा किये गये गबन को लेकर कलेक्टर व उप संचालक पशु को नोटिस जारी कर जबाव मांगा है, जिसकी सुनवाई 16 फरवरी को होनी है।

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