नेक राह पर चले और आपस मे मोहब्बत रखे-मुरादगाह में बाबा हुजूर ने दी नसीहत
मातमी पर्व मोहर्रम में हज़ारों जायरीनों की आमद
उमरिया। मातमी पर्व मोहर्रम की दसवीं तारीख को बाबा हुजूर ने मुरादगाह में जायरीनों को नसीहत देते हुए कहा कि नेक राह पर चले,आपस मे मोहब्बत रखे। उन्होंने ईश्वर के प्रति समर्पित होने की बात कहते हुआ कहा कि इबादत करे, पूजा करे, ईश्वर खुद ब खुद हर परेशानी को खत्म कर देगा।
इस मौके पर हज़रत इनाम हुसैन की शहादत की याद में मनाया जाने वाला मातमी पर्व मोहर्रम में सैकड़ों की तादात में जायरीनो ने बाबा हुजूर की ज़ियारत की और मुराद के लिए हाजिरी लगाई। मोहर्रम की दसवीं तारीख को बाबा हुजूर की सवारी इमामबाड़ा से निकलकर मुरादगाह पहुंची,और बाद में बडी मस्जिद गई है।
धार्मिक सद्भाव के रूप में मनाया जाने वाला मातमी पर्व मोहर्रम शहर में बड़े खुलूस और मोहब्बत से मनाया जाता है, इस पर्व पर सभी सम्प्रदाय के लोग देश एवम प्रदेश से हजारों की तादात में शहर पहुंचते है। उर्दू माह का पहला महीना मोहर्रम के एक तारीख से 10 तारीख तक मनाए जाने वाले मातमी पर्व में ताजिया बनाने वाले भी अलग अलग सम्प्रदाय के होते है, ये भी इस पर्व की गंगा- जमुनी तहजीब का पर्याय है।
मोहर्रम की दसवीं तारीख यानी शनिवार की सुबह 10 बजे मुख्यालय स्थित दोनो मस्जिदों में आशूरा की दुआ पढ़ी गई, जिसमे सैकड़ों की तादात में मुस्लिम भाई शरीक हुए।मुस्लिम धर्मावलंबियों की मान्यता है कि इस खास दिन सभी नेक और जायज दुआएं कबूल होती है।मातमी पर्व के इस खास दिन क़ई मुस्लिम भाई-बहन रोजा रख दिन भर इबादत में मशगूल रहते है।उमरिया में मातमी पर्व मोहर्रम का अपना इतिहास रहा है,बुजुर्ग लोग मोहर्रम पर्व में बाबा हुजूर के क़ई जीवंत किस्से बताते है,इसके अलावा मातमी पर्व के इन दस दिनों में बच्चे,जवान और बूढ़े जायरीन शेर बनते है मान्यता है कि जिन जायरीनों की मुराद पूरी होती है,वह भी शेर बनते है।
What's Your Reaction?