मध्य प्रदेश में समस्त टाइगर रिजर्व में कार्यरत सुरक्षा श्रमिकों का हो रहा मानवाधिकार का हनन - विनोद भट्ट
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उमरिया। मध्य प्रदेश स्थाई कर्मी कल्याण संघ के प्रदेश सचिव विनोद भट्ट के द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया गया कि आज मध्य प्रदेश शासन के द्वारा 15 से 20 हजार रुपए के मानदेय पर जो वनवीर की भर्ती करने का निर्णय मध्य प्रदेश शासन के द्वारा लिया गया है वह निर्णय वन एवं वन्य प्राणी सुरक्षा की दृष्टि से सराहनीय निर्णय है। लेकिन प्रदेश के वन विभाग समस्त टाइगर रिजर्व में 15 से 20 वर्षों से कार्यरत सुरक्षा श्रमिक अपनी जान की परवाह किए बगैर वन एवं वन्य प्राणियों की सुरक्षा का कार्य के अलावा परिक्षेत्र कार्यालय, उपवन मंडल कार्यालय, एवं क्षेत्र संचालक कार्यालय में लिपकीय कार्य, वाहन चालक का कार्य, वायरलेस ऑपरेटर कार्य, महावत का कार्य, इंक्लूजन आदि निर्माण कार्य आदि महत्वपूर्ण कार्य 12 से 18 घंटे करते चले आ रहे हैं, लेकिन शासन के आदेश अनुसार आज भी इन्हें मूलभूत सुविधा नहीं दी जा रही है प्रशासनिक आला अधिकारियों द्वारा उनकी सही जानकारी शासन को न दिए जाने के कारण ए वर्ष 2016 के आदेश अनुसार विनियमिति कारण से वंचित रह गए हैं एवं आला अधिकारियों द्वारा शासन को सही जानकारी न देने के कारण ही शासन द्वारा इनको ईको विकास समिति का सुरक्षा श्रमिक मानकर कोई भी मूलभूत सुविधा नहीं दी जा रही है । आज लगभग 20 वर्ष से सेवा करने के बाद भी उनके बच्चों का भविष्य अंधकार में है , क्या यह प्रदेश के लगभग 6000 सुरक्षा श्रमिकों के मानवाधिकार का हनन नहीं है?
कई बार संघ के द्वारा शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन कर मूलभूत सुविधा हेतु शासन प्रशासन से निवेदन किया गया, आश्वासन तो मिला लेकिन आज दिनांक तक समस्याओं का समाधान नहीं किया गया इसी कारण प्रदेश के टाइगर रिजर्व के लगभग 6000 सुरक्षा श्रमिकों में काफी आक्रोश व्याप्त है। समाचार पत्रों के माध्यम से पुनः माननीय मुख्यमंत्री महोदय जी से संघ निवेदन करता है कि प्रदेश के वन विभाग समस्त टाइगर रिजर्व में कार्यरत सुरक्षा श्रमिकों को शासन के नियमानुसार कर्मचारी मानते हुए मूलभूत सुविधा प्रदान करने की दया करें ताकि 20 वर्षों से 18 घंटे वन एवं वन्य प्राणियों की सुरक्षा करने वालों के बच्चों का भी भविष्य सुरक्षित रहे।
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