पूज्य सद्गुरुदेव के अवतरण दिवस के उपलक्ष्य में हो रहा श्रीराम यज्ञ एवं श्रीहनुमंत कथा का दिव्य आयोजन
उमरिया । अनंत बिभूसित परम पूज्य प्रातः इस्मर्णीय भगवत कृपा से युक्त सद्गुरूदेव भगवान श्रीसंतशरण जू महाराज का 96 वां अवतरण दिवस के परम पुनीत उपलक्ष्य में श्रीहनुमंत कुंज आश्रम छपडौर में विभिन्न आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमो का आयोजन होना सुनिश्चित हुआ है। विदित है कि सद्गुरुदेव भगवान का अवतरण दिवस प्रति वर्ष गोपाष्टमी को मनाया जाता है। इसी तारतम्य में 3 नवम्बर 2024 से 9 नवम्बर 2024 तक श्रीहनुमंतकुंज आश्रम में श्रीराम यज्ञ एवं श्रीहनुमंत कथा होगी। 3 नवम्बर को कलश यात्रा का दिव्य आयोजन किया गया है श्रीहनुमंत कथा ज्ञान अमृत का प्रवाह ब्रम्हर्षि डॉ राम विलाश दाश जी महाराज के द्वारा किया जाएगा।
ज्ञात है कि श्रीहनुमंत कुंज आश्रम छपडौर में केंद्रीय संस्कृत विद्यालय और स्वामी संतसरण गुरुकुलम भी संचालित होता है। गुरुकुलम इंग्लिश माध्यम से बच्चो को शिक्षा देता है। जहां शिक्षा के साथ संस्कार भी दिए जाते है। जब शिक्षा संस्कारो से युक्त हो तभी उसकी सार्थकता है। यह ऐसा विद्यालय है जहां संस्कारपूर्ण शिक्षा दी जाती है। प्रागट्य कार्यक्रम में गुरुकुलम के विद्यार्थियों के द्वारा 7 नवंबर को शाम 7 बजे से मनमोहक प्रस्तुति दी जाएगी साथ ही 8 नवंबर को केन्द्रीयबसंस्कृत विद्यापीठ में अध्ययनरत बच्चो के द्वारा नाटक प्रस्तुत किया जाएगा। 9 नवम्बर गोपाष्टमी को प्रातः गुरु चरण पादुका पूजन वा बधाई गीत आरती तुलादान कार्यक्रम सम्पन्न होगा। साथ ही अंतरराष्ट्रीय गायक के द्वारा संगीत की शास्त्रीय विधा में दोपहर 3 बजे से शाम 5 बजे तक रामधुन सहित दिव्य प्रस्तुतिया दी जाएगी।
मित्रों गुरुकृपा का वर्णन हमारे धर्म शास्त्र करते है। गुरु और गोविंद दोनों एक दूसरे के पूरक है पर्याय है। जिसके जीवन मे संत हैं उसका जीवन हर समय बसंत है। अर्थात भक्त का जीवन खुशियों से युक्त उलझन समस्याओं से मुक्त रहता है। संचित पाप कर्मों के कारण कोई उलझन समस्या पीड़ा आई भी तो वह टिकती नही है। अगर हमारे स्वभाव में संतसेवा हरिहर आराधना और गुरु के प्रति निष्ठा है हम गुरु के बताए मार्ग पर चलते है तो नर जीवन नारायण कृपा से युक्त रहेगा। हमारे धर्म ग्रंथ और संत बताते है कि सुख और दुख हमारे कर्मो का ही परिणाम है। पूर्व में जैसा कर्म हमने किया है उन्ही का परिणाम हमे सुख और दुख के रूप में भोगना पड़ता है। सुखी तो सभी होना चाहते है किंतु दुख कोई नही भोगना चाहता किन्तु यह भी है तो हमारे ही कर्मो का परिणाम। संचित पाप कर्मों और दुखों से मुक्ति केवल भक्ति और गुरुकृपा ही दिलाती है। गुरु बिना मानव जीवन ठीक वैसा ही है जैसे इंजन बिना गाड़ी।
साधना एक प्रकार से शरीर रूपी मकान में वायरिंग के समान हैं उसका स्विच ऑन करने का काम गुरु ही करते है। भगवत सत्ता का ज्ञान करवाना हो मानव जीवन की सार्थकता सिद्धि हेतु जतन करना हो तो वह गुरु ही है गुरु वस्तुतः एक जीवांत जाग्रत स्वमेव शास्त्र है। यदि उन्हें पढ़ा जाय इनके बताए मार्ग पर चला जाय उनकी बातों को जीवन के उतारा जाय, तो दुनिया का सारा वैभव आध्यात्मिक शक्ति का भण्डार हस्तगत किया जा सकता है। हमारे ऋषि मुनियों और महापुरुषों ने गुरु की महिमा का वर्णन किया है। अखिलकोटि ब्रम्हांड स्वामी श्रीरामचंद्र जी तो अपने दिन की सुरुआत गुरु को प्रणाम करके ही करते थे जिसका वर्णन पूज्य तुलसी बाबा ने किया है।
सद्गुरुदेव भगवान के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में 3 नवम्बर से सुरु हो रहे श्रीराम यज्ञ एवं श्री हनुमंत कथा में आप सपरिवार मित्रों सहित शामिल होकर पुण्यलाभ अर्जित करे। निश्चित्तरूप से भक्ति में वह शक्ति है जो अति आभाव से ग्रसित जीवन को अति प्रभावसाली बना देती है। भक्त के सभी मनोरथ सिद्ध करती है। जीवन मे चल रही वा आने वाली उलझनों से बचाव के मार्ग स्वतः ही खुल जाते है वह भक्ति ही थी हरिहर कृपा ही थी जिसके कारण अल्पायु मार्कण्डेय जी को शिव जी ने चिरंजीवी बना दिया ध्रुव प्रह्लाद जी को बाल्यकाल में ही वह वात्सल्य वा कृपा मिल गई जिसने उन्हें भक्ति का उदाहरण बना दिया।
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