भ्रष्टाचार की शिकार : आशा 3 साल से हैरान परेशान...
छिंदवाड़ा/मोहखेड़। बेहद गंभीर मामला है हैरान परेशान आशा की माने तो कार्यवाही का अबतक कहीं कोई अता पता नहीं है । जनसुनवाई में न्याय मिलने के बजाय अब उल्टे शिकायतकर्ता पर एफआईआर करने की धमकीयां मिलने लगी है। खुलासा हुआ है कि पुलिस ने पीड़िता के चौकीदार पति पर छेड़छाड़ का केस दर्ज किया है। मिलीभगत के चलते कुलमिलाकर चौतरफा बरगलाने का काम हो रहा है।
बता दें कि सुशासन में भ्रष्ट आसन लगाए बैठी स्थानीय पुलिस तक फरियादी को बरगलाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही है। जांचे तमाम हुई परंतु कार्यवाही को लेकर गोपनीयता का हवाला देकर अबसब एक दूसरे पर ढोल रहे हैं।
गौरतलब रहे कि स्वास्थ्य महकमे में आशाओं को पर्यवेक्षक बनाने वाले इस पूरे खेल में नीचे से ऊपर तक बड़ी मिलीभगत सामने आ रही है। इसी के चलते बीसीएम दीपक मरकाम द्वारा पर्यवेक्षक बनाने के लिए प्रति आषा 2.50 लाख की रकम फिक्स की गई । लेनदेन हो गया जब मामला सुर्खियों में आया तो आनन फानन में स्वस्थ्य विभाग ने बीसीएम का ट्रांसफर पांढुर्णा कर दिया था। उधर 3 साल चली जांच के बाद जब धीरे धीरे मामला ठंडे बस्ते में जाने लगा तो बीसीएम की वापसी फिरसे मोहखेड़ हो गई। मिलीभगत से हुए इस भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने वाले जिम्मेदारों से लेकर लाखों डकारने वाला बीसीएम तक मौन है। इधर 2.50 लाख से लुटपिटकर गले गले तक कर्ज में डूबी आशा मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रही है।
अंकसूचियां तक फर्ज़ी बनवाई
सूत्र बताते हैं कोविड की आड़ में बीसीएम द्वारा पर्यवेक्षक की नियुक्ति को लेकर पीड़िता से योग्यता संबंधी दस्तावेजों की मांग की गई थी। आशा माया नारनौरे द्वारा आठवीं और दसवीं कक्षा की अंकसूचियां, प्रमाण पत्र बीसीएम के पास जमा किये गए थे । जिन्हें दरकिनार करके बीसीएम द्वारा किसी फर्ज़ी संस्थान से अच्छे अंकों वाली 12वीं की जाली अंकसूचियां तक बनवाई गई थी । जबकि आशा के मूल दस्तावेजों को गायब कर दिया गया है। चौंका देने वाला बड़ा खुलासा ग्राम लास की पीड़ित आशा कार्यकर्ता ने किया है।
उधर भ्रष्टाचार विरोधी आषा को नोकरी से निकाला?
अम्बाझिरी की आशा कार्यकर्ता द्वारा नियमविरुद्ध अतिरिक्त आषा की नियुक्ति को लेकर भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायत जब कलेक्टर को भेजी गई तो, 16 साल से कार्यरत आषा मालती कवरेति को षड्यंत्र रचकर बीसीएम ने नोकरी से निकालने का फरमान तक जारी कर दिया ।
अब सवाल यह है कि तमाम शिकायतों के बावजूद वर्षों चली जांच के बाद भ्रष्टाचार को आखिर किसने और कहां छिपा रखा है ? जनचर्चा का विषय बन चुके इस मामले में अब उच्च स्तरीय जांच की मांग उठ रही है। ताकि पर्यवेक्षक नियुक्ति घोटाले में बड़े पैमाने पर हुआ भ्रष्टाचार उजागर हो सके।
(1) इनका ये कहना है-
शिकायत आई थी सामने वाला रुपये लौटा रहा था, हमने जांच में मामला शार्ट ऑउट करने जब शिकायतकर्ता को थाने बुलाया था तब वो राजी नहीं हुई.. -थाना-मोहखेड़ जांचकर्ता/सब इंस्पेक्टर/श्री बीअनिल उईके।
(2) इनका कहना है-
गोपनीय जांच करके हमने शिकायतकर्ता के समर्थन में अपना प्रतिवेदन एसडीएम सर को सौंप दिया था.. - मोहखेड़,नायब तहसीलदार/साधना सिंह मैडम।
(3)इनका कहना है-
बाकायदा जांच दल गठितकर हमने पूरे मामले की जांच सीएमएचओ को भेज दी है.. - एसडीएम-सौंसर-श्री मान, श्रेयांश कुमट।
(4) इनकी माने तो-
हमने जाँच भोपाल भेज दी है कार्यवाही क्या हुई वो मैं बता नहीं पाऊंगा, अभी मैं बाहर हूँ.. कॉल डिस्कनेक्ट -छिंदवाड़ा-सीएमएचओ- डॉ जी.सी. चौरसिया।
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