सुशासन या कुशासन ! एफआईआर के बाद भी दे दिया प्रभार
नये सीएमएचओ ने संविदाकर्मी अनिल सिंह को बनाया डीपीएम
उमरिया। जिले का दुर्भाग्य कहे या फिर अफसरों की मनमानी की जैसे उमरिया जिले में मध्यप्रदेश शासन के नियमों को ताक पर रख कर ऐसे आदेश या प्रभार चापलूसी में दिए जा रहे हैं जिससे सीधे सीधे शासन के नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ रही है..! शराब के नशे में लड़खड़ाती स्वास्थ्य व्यवस्था की पिक्चर अभी कुछ दिनों पहले ही सबने देखी थी, लेकिन नए सीएमएचओ चौधरी साहब ने तो एक कदम और आगे आते हुए एक आर्ट के विद्यार्थी जो बीए एम ए करके संविदा एपिडेमियोलॉजीष्ट बन गया और जिसके ऊपर भ्रष्टाचार के कई आरोप भी कोरोना काल मे लगे थे और ब्राम्हण विरोधी स्टेटस व्हाट्सएप पर लगाने पर उमरिया थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी और अभी कुछ महीने पहले ही जमानत हुई है और अभी न्यायालय में प्रकरण चल रहा है।
ऐसे में जिला कार्यक्रम प्रबंधक (डी पी एम) जैसे महत्वपूर्ण प्रभार आखिर किस मजबूरी में दिया गया है..! जबकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन भोपाल द्वारा स्पष्ट निर्देश दिये गए थे कि संविदा एपिडेमियोलॉजीष्ट को अन्य कोई प्रभार न दिए जाये। फिर भी आदेशो और निर्देशो का पालन नहीं हो रहा।
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