देश भर से भारी संख्या में आरटीआई एक्टिविस्ट पहुँचे भोपाल
भोपाल। (RTI) आरटीआई एक्ट को विधिक संरक्षण व अपने अधिकार की आवाज उठाने के लिए मुख्य सूचना आयुक्त, मुख्य सचिव और राज्यपाल मध्यप्रदेश को ज्ञापन सौंपा।
संसद में पारित सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 लागू हो जाने के बाद भी सच की लड़ाई लड़ने वालों को वांछित सूचना नहीं मिल रही है।
‘खींचो न कमानो को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार में निकालों – अकबर इलाहाबादी’* के इस कथन को आत्मसात करते हुए भारत के विभिन्न राज्यों के आरटीआई कार्यकर्ता लामबंद हुए और सम्पूर्ण भारत के विभिन्न प्रदेशों के सूचना आयोग के समक्ष ज़ोरदार ढंग से अपनी समस्याओं को रखते हुए अधिनियम अंतर्गत सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के पालन हेतु मुहिम छेड़ दि गई है । इसी कड़ी में पुनः मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग के ढुलमुल रवैया के कारण आरटीआई कार्यकर्ताओं द्वारा 26 अप्रैल 2023 को दोबारा राज्य सूचना आयोग की चौखट पर पहुँचकर व्हिसिलब्लोअर के रूप में आयोग का दरवाज़ा खटखटाया । मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग मे पदस्थापित सूचना आयुक्त और पदाधिकारियों के ढुलमुल रवैए के कारण सूचना आयुक्त मनमानी पर उतर आए हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अभिषेक कुमार बताते हैं कि भारत के समस्त सूचना आयोग में पदस्थापित सूचना आयुक्त संसद द्वारा पारित सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत सूचना के लिए आवेदन लगाने पर पहले तो सूचना दिलाने से बचते हैं, या नहीं दिला पाते हैं, या लोक सूचना अधिकारी से सांठगांठ कर अपनी रोटीयां सेकते हैं, और परितोष लेकर लोक सूचना अधिकारी पर कार्यवाही नहीं करते, यदि आवेदक प्रथम अपीलीय अधिकारी को अपील करते हैं तो फिर सूचना आधी अधूरी प्रदान की जाती है जो सरेआम संसद द्वारा पारित सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाते है।
RTI कार्यकर्ताओं ने बताया कि जितनी मक्कारी संसद द्वारा पारित सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नियुक्त पदाधिकारी करते हैं उतना शायद ही किसी अधिनियम में होता हो । आरटीआई लगाने पर पहले शुल्क को लेकर आनाकानी, फिर कम शुल्क भेजा है, या अतिरिक्त शुल्क भेजें, और जब आवेदक अतिरिक्त शुल्क जमा कर भी दें तो जवाब मिलता है कि सूचना नहीं दी जा सकती है। कुछ कार्यकर्ताओं ने बताया कि हम आरटीआई शौकिया तौर पर नहीं लगाते और न हीं इतना फालतू पैसा और समय है कि हम उसे बर्बाद करें। हम आज सच की लड़ाई लड रहे हैं जिसमें आरटीआई के माध्यम से प्राप्त सूचनाएं संबंधित को प्रदर्शित कर सच उजागर करना चाहते हैं। लेकिन संसद द्वारा पारित सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत विभाग के ग़लत रवैए के चलते आज हम सभी आयोग को आइना दिखाने जगाने के लिए उपस्थित एवं एकत्रित हुए हैं। यह कारवां आज सम्पूर्ण भारत के विभिन्न प्रदेशों में फैल चुका है। इस यात्रा का ज्ञापन मुख्य सचिव और राज्यपाल मध्य प्रदेश को दिया गया है।
भारत के विभिन्न राज्यों से आये आरटीआई कार्यकर्ता मे बिहार से पूरुषोत्तम श्याम मुरारी, पश्चिमबंगाल से रामदेव , उत्तरप्रदेश से राहुल कनौजिया, महाराष्ट्र से चंद्रप्रकाश, झारखंड के ओमप्रसाद, छत्तीसगढ़ से तेजेश्वर र्सिंह ओंकार मल्होत्रा, मध्यप्रदेश से दीपक परमार असावती प्रेम गुजराती, आशीष गुजराती, बी आर मेश्राम, लखन लाल, माखन सिंह धाकड़, दिनेश सिंह नवारिया, विशाल दुबे, संजय मिश्रा, विनोद दुबे, डीडी यादव, हरवीर सिंह, जयपाल सिंह खींची, अजय सिंह, सुनीता नहार, नूर गुल खान, देवेंद्र नहार, राजवीर सिंह होरा, राजेश अग्निहोत्री, शिवप्रसाद , राजू पाल, अनिल जैन, कुलबीर सिंह बग्गा, रामप्रसाद लाडिया राजस्थान अन्य राज्यो के कार्यकर्ता भी आये और बहुत ही शांति पूर्ण तरीके से अपना ज्ञापन दिया गया। यह भारत के आरटीआई कार्यकर्ताओं की बड़ी जीत है, अब तक इतिहास में इस प्रकार ज्ञापन का दौर नहीं चला था।
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