मध्य प्रदेश में 26% बढ़ा करप्शन: एक साल में 279 सरकारी अधिकारी-कर्मचारी ट्रैप, नायब तहसीलदार, CEO-SDO समेत कई रिश्वत लेते पकड़ाए, भ्रष्टाचार पर कब लगेगा लगाम

Jan 20, 2023 - 11:11
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मध्य प्रदेश में 26% बढ़ा करप्शन: एक साल में 279 सरकारी अधिकारी-कर्मचारी ट्रैप, नायब तहसीलदार, CEO-SDO समेत कई रिश्वत लेते पकड़ाए, भ्रष्टाचार पर कब लगेगा लगाम

भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में भ्रष्टाचार की बीमारी दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है. हमारे जीवन का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं बचा है, जहां भ्रष्टाचार के दानव ने अपने पंजे न फैलाए हों. सरकारी दफ्तर (government office) नैतिक मूल्यों और आदर्शों का कब्रिस्तान बन गया है. देश की सबसे छोटी इकाई पंचायत से लेकर शीर्ष स्तर के दफ्तरों तक और लिपिक से लेकर बड़े अधिकारी तक बिना रिश्वत (bribe) के आज सरकारी फाइल आगे नहीं बढ़ती है.
          एमपी के सरकारी दफ्तरों में 26 फ़ीसदी भ्रष्टाचारी अफसरों की संख्या बढ़ी है. लोकायुक्त (Lokayukta) की सालाना रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है. एक साल के अंदर 279 सरकारी अधिकारी-कर्मचारी को ट्रैप किया गया है. लोकायुक्त ने 25 सरकारी विभाग में पदस्थ कर्मचारियों के ठिकानों पर छापेमारी की है. 2021 में लोकायुक्त ने 252 भ्रष्टाचारियों को रिश्वत लेते पकड़ा था. 2021 की तुलना 2022 में 12 फीसदी ज्यादा केस दर्ज किए गए.
          प्रदेश में रिश्वत लेने के मामले में पटवारी, सचिव, क्लर्क, डॉक्टर, डायरेक्टर, इंजीनियर, नायब तहसीलदार, रेंजर, सीईओ, एसडीओ, रेवेन्यू इंस्पेक्टर और पुलिसकर्मी समेत कई नाम शामिल है. पिछले 3 साल में 27 फ़ीसदी कर्मचारी राजस्व विभाग के रिश्वत लेते पकड़ाए हैं. पिछले 3 साल में 9 प्रतिशत पुलिसकर्मी रिश्वतखोरी करते ट्रैप हुए है.

भ्रष्टाचार के मुद्दे पर आमने-सामने कांग्रेस बीजेपी
          इस पर कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने कहा कि मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार चरम पर है. आंकड़े सभ्य समाज के लिए शर्म का विषय है. सरकार के जीरो टॉलरेंस का सच सामने आया है. कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी ने पलटवार किया है. बीजेपी नेता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि 15 महीने की कमलनाथ सरकार ने मंत्रालय को दलाली का अड्डा बनाया है. सेंट्रल एजेंसी ने भ्रष्टाचार के मामले में कमलनाथ सरकार के समय कार्रवाई की थी. भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करना भ्रष्टाचार बढ़ना नहीं होता. ये कार्रवाई बताती है की मध्य प्रदेश में सुशासन है.
          बता दें कि सरकारी दफ्तर रिश्वतखोरी का बड़ा अड्डा बने हुए हैं. इनमें भी सबसे ज्यादा रिश्वतखोरी राज्य सरकारों के ऑफिसों में होती है. भ्रष्टाचार की दीमकें हमारी सारी व्यवस्था को खोखला कर रही हैं. इस बड़े कानून और लगाम नहीं लगाया गया, तो यह करप्शन और बढ़ेगा. इसलिए कड़ी कार्रवाई जरूरी है.

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