बिना परमिट कट गये दर्जनों हरे पेड़
सरपंच, पटवारी और ठेकेदार की करतूत आई सामने
उमरिया। एक तरफ जंगल और हरे पेड़ों को बचाने हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं, हरियाली और पर्यावरण को संरक्षित और सुरक्षित करने के लिए सरकार हर दिन लगभग पौधा रोपड़ कर नया कीर्तिमान रच रही है, मगर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से लगी राजस्व सीमा के गांव घघड़ार में अंधाधुंध हरे पुराने वृक्ष कटा दिये गये। जिसकी न तो परमीशन ली गई और न ही किसी प्रकार की कोई सूचना लेकिन ठेकेदार और सरपंच ने बिना किसी डर के पेड़ों को काट डाला और लकड़ी ढुलाई तक करा डाली जबकि ट्रकों लकड़ी अभी भी कटाई स्थल पर पड़ी है। इस मामले की जब शिकायत की गई तो मौका मुआयना करने पहुंचे हल्का पटवारी ने पंचनामा बनाते हुए जांच की है। मगर जांच भी ऐसी की है कि एक सप्ताह बीत जाने के बाद पटवारी आदर्श पाण्डेय ने तहसीलदार को प्रतिवेदन सौंपा जिसकी कार्यवाही अभी भी बाकी है। इस संबंध में जब घघड़ार पटवारी आदर्श पाण्डेय से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मुझे मेरे अधिकारियों ने कुछ भी नहीं बोला और मैं कोई भी जानकारी आपको नहीं बता सकता हूं। जिससे यह साबित होता है कि किस प्रकार से रक्षक का भार उठाने वाले पटवारी भक्षक बनकर पेड़ों का कत्लेआम कराने आमादा हैं। वहीं पेड़ कटाने वाले ग्रामीण का कहना है कि सरपंच ने परमीशन दे दी है, जबकि कोई भी हरा पेड़ काटने की परमीशन देना सरपंच के हक में है ही नहीं। वहीं गांव बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से जुड़ा होने के कारण कटी लकड़ी की ढुलाई हेतु टीपी जारी होती है जिसकी परमीशन संबंधित रेंज आफीसर से लेनी होती है, जबकि ठेकेदार और पेड़ मालिक ने ऐसा कोई भी आवेदन नहीं दिया जिससे टीपी जारी की जा सके। बहरहाल जो भी हो जिम्मेदार सरपंच और पटवारी सहित अन्य लोगों ने मिलकर हरे पेड़ों को बचाने की बजाए नुकसान पहुंचाया है।
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