सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में आयुष्मान घोटाला: कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक शामिल, कब होगी जांच?

May 2, 2023 - 11:20
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सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में आयुष्मान घोटाला: कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक शामिल, कब होगी जांच?

रीवा। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल मे आयुष्मान कार्ड की आड़ में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। इस घोटाले में नीचे से लेकर ऊपर तक कई लोग शामिल हैं इसका खुलासा तभी होगा जब निष्पक्षता के साथ पूरे मामले की जांच होगी सूत्रों की मानें तो श्याम शाह मेडिकल कॉलेज में पदस्थ लिपिक का बेटा इस कारोबार का मास्टर माइड बन कर सामने आ रहा है। इसके खिलाफ हुई शिकायत ने पूरे सिस्टम की पोल खोल दी है। यहां अब तक करोड़ों रुपए का फर्जीवाड़ा किया गया है। इसी फर्जीवाड़ा के कारण सुपर स्पेशलिटी अस्पताल पेड ओपीडी, आईपीडी चलाने के बाद भी फायदे में नहीं आ पाया। घाटे में ही चल रहा है।
           भारी भरकम राशि 150 करोड़ की लागत से बन कर तैयार हुए सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की शाख और विकास पुरुष पूर्व मंत्री व राजेंद्र शुक्ल की मंशा पर यहां के कर्मचारी, डॉक्टर पानी फेर रहे हैं। मरीजों को इलाज तो मिल रहा है लेकिन अस्पताल की कमाई नहीं हो रही। सारा इलाज आयुष्मान में ही दर्ज हो रहा है। पेड मरीजों का भी फर्जी तरीके से आयुष्मान कार्ड बनाकर लूटखसोट की जा रही है। यह कारोबार लंबे समय से चल रहा था लेकिन एक शिकायत ने पूरे सिस्टम की पोल खोल दी है। इसके पहले भी आयुष्मान मित्र की शिकायत हुई थी लेकिन प्रबंधन ने गंभीरता नहीं दिखाई। इसके कारण अस्पताल को करोड़ों की चपत लगी और मरीजों को हजारों, लाखों रुपए गंवाने पड़े। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर और आयुष्मान मित्र मिलकर मरीजों को इलाज के नाम पर पहले डराते थे। फिर उनका फर्जी तरीके से आयुष्मान कार्ड बनाकर फ्री इलाज कराते थे। इलाज का खर्च खुद जेब में रख लेते थे। यह फर्जीवाड़ा अब भी जारी है। इस फर्जीवाड़े ने पूरे सिस्टम को ही ठप कर दिया है। पेड ओपीडी, आईपीडी चलाने के बाद भी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल घाटे से उबर नहीं पा रहा है। लंबे समय से चल रहा खेल आयुष्मान बनाकर रुपए ऐंठने का खेल लंबे समय से चल रहा है। इस अवैध कारोबार में सैकड़ों मरीज फंस चुके हैं। लाखों का इलाज आधे से भी कम दाम में होने के कारण मरीजों ने भी शिकायत नहीं की। इतना ही नहीं रुपए देने के बाद उसका हिसाब और बिल भी नहीं लिया। अब तक जालसाजों ने मिलकर करोड़ों रुपए का फर्जीवाड़ा किया है। इसकी जांच ही पूरे फर्जीवाड़े की पोल खोलेगा।
          सब की रहती है हिस्सेदारी इस अवैध कारोबार में सिर्फ आयुष्मान मित्र के ही हाथ काले नहीं है। इसमें मरीज का इलाज करने वाले डॉक्टर की भूमिका मुख्य रहती है। आयुष्मान मित्र उन्हीं के इसारों पर काम करते हैं। मरीजों की स्थिति और जरूरत के हिसाब से उन्हें डील किया जाता है। फर्जी तरीके से आयुष्मान कार्ड बनाकर रुपए ऐंठने के धंधे में टेक्नीशियन भी शामिल होते हैं। राशि वसूलने के बाद सभी में हिस्सा बंटता है। सबसे अधिक संबंधित डॉक्टर के पास जाता है।अब तक हजारों से कर चुके खेल सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में अब तक हजारों मरीजों से इलाज के नाम पर रुपए ऐंठ चुके हैं। कार्डियोलॉजी, यूरो और न्यूरो में सबसे अधिक इनका शिकार मरीज हुए हैं। मरीजों को फ्री में इलाज का झांसा देकर रुपए ऐंठते हैं। पहले इन्हें लाखों रुपए का खर्च दिखाया जाता है। बाद में आधे में सौंदा होता है। आयुष्मान मित्र, मरीज का आयुष्मान बनाकर इलाज फ्री करा देते हैं। मरीज जो रुपए लेते हैं वह आयुष्मान मित्र आने पास रख लेते हैं। इस जालसाजी में कई मरीज और उनके परिजन फंस चुके हैं। मरीजों को कई महीने इलाज और आपरेशन के लिए दौड़ाया जाता है। बाद में चंद रुपए के खर्चे में आयुष्मान बनाकर इलाज फ्री कराने का झांसा दिया जाता है। लाखों रुपए का इलाज जब कम खर्चे में हो रहा हो तो ऐसे में मरीज भी शिकायत नहीं करता। यही वजह है कि यह जालसाजी का खेल अब तक चला आ रहा था।
          जिस आयुष्मान मित्र पर रुपए लेकर फर्जी तरीके से आयुष्मान कार्ड बनाने का आरोप लग रहा है। उस आयुष्मान मित्र का नाम अंकुर सेन है। उसके पिता श्याम शाह मेडिकल कॉलेज में लिपिक के पद पर पदस्थ हैं। इन्हीं का संरक्षण मिला हुआ है। यही वजह है कि बेटा खुलेआम मरीजों को लूटने में लगा हुआ था। इसके साथ ही कैथ लैब टेक्नीशियन पद पर पदस्थ सत्यम शर्मा और सुमन साहू द्वारा अवैधानिक तरीके से नौकरी और ईसीजी डिप्लोमा कोर्स एक साथ किए जाने का मामला सुर्खियों में है तो वही डॉक्टर हिमांशु गुप्ता कार्डियोलॉजिस्ट सुपर स्पेशलिटी अस्पताल रीवा द्वारा सतना में अपनी निजी क्लीनिक में बैठकर प्रैक्टिस की जा रही है और रीवा में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में कार्डियोलॉजिस्ट पद की मुफ्त में पगार ले जा रही है ऐसे कई मामले हैं जो ना सिर्फ स्वास्थ्य विभाग के लिए बड़ी चुनौती है बल्कि आने वाले समय में अगर ऐसा ही होता रहा तो जिस सुपरस्पेशल्टी अस्पताल को लेकर रीवा स्वास्थ्य सेवाओं में महानगर की तर्ज पर शुमार हो चुका है बदनाम होने में समय नहीं लगेगा।

इनका कहना है :-

          मामला संज्ञान में आया है। संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। मरीजों से रुपए लेने वाले कर्मचारी को तुरंत बाहर किया जाएगा।  - डॉ राहुल मिश्रा अधीक्षक, संजय गांधी अस्पताल रीवा


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