MP में ओबीसी के 27% आरक्षण का मामला: हाई कोर्ट में ही चलेगा केस या सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई, आज तय होगी दिशा
जबलपुर। मध्य प्रदेश में ओबीसी के 27% आरक्षण को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि ओबीसी आरक्षण मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होगी या फिर पूर्व की तरह हाईकोर्ट में ही चलती रहेगी। दरअसल, मध्यप्रदेश सरकार ने ओबीसी आरक्षण के सभी प्रकरणों को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। सरकार के सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी एससी एसटी एकांत मंच में भी ट्रांसफर याचिका दाखिल की है।
दरअसल, ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही 4 याचिका है पेंडिंग है, जिसके चलते मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, एमपी सरकार से कई बार कह चुका है कि सरकार पहले सुप्रीम कोर्ट में लगी याचिकाओं का निराकरण कराएं, उसके बाद ही एमपी हाईकोर्ट में लगी 66 याचिकाओ पर हाईकोर्ट सुनवाई करेगा। हाई कोर्ट के निर्देश के बाद भी जब सुप्रीम कोर्ट में लगी याचिका का निराकरण नहीं हुआ तो हाई कोर्ट ने सभी 66 याचिकाओं पर बारी-बारी से सुनवाई करने के बाद मध्य प्रदेश सरकार का पक्ष सुनने का निर्णय लिया था।
इसके बाद मध्य प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट में लगी सभी 66 याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करने की एक याचिका दाखिल कर दी। इस ट्रांसफर याचिका के पीछे सरकार ने यह मंशा जाहिर की है कि पहले से लगी सुप्रीम कोर्ट में चार याचिकाएं और मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में लगी 66 याचिकाओं की एक साथ सुनवाई की जाए ताकि उक्त विवादित मुद्दे को एक बार में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निराकरण किया जा सके।
सरकार की क्या है मांग ?
सरकार की ओर से याचिका में मध्यप्रदेश शासन द्वारा यह राहत चाही गई है कि ओबीसी के 27 परसेंट आरक्षण का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बेंच द्वारा इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ के प्रकरण में अपहेल्ड किया गया है। दूसरी ओर इंदिरा साहनी के जजमेंट में यह भी व्यवस्था दी गई है कि कुल आरक्षण की 50 परसेंट की सीमा विशेष परिस्थितियों में बढ़ सकती है, जो कि मध्य प्रदेश में की ओबीसी आबादी के हिसाब संभव है और इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ के निर्णय के पैरा नंबर 810 में व्यवस्था दी गई है कि यदि आरक्षण की सीमा किसी राज्य में 50 परसेंट से ऊपर बढ़ाई जाती है तो उसकी न्यायिक समीक्षा करने का अधिकार सुप्रीम कोर्ट को ही होगा। इन्हीं बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए मध्यप्रदेश शासन द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक ट्रांसफर याचिका दिनांक 19 अप्रैल 2023 को दाखिल की गई है।
Source : online.
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