परम पूज्य सद्गुरुदेव भगवान का जन्मोत्सव कार्यक्रम 29 अक्टूबर 2025 को
उमरिया। अनंत बिभूसित परम पूज्य प्रातः इस्मर्णीय भगवत कृपा से युक्त संत शिरोमणि श्री श्री अनंतश्री संतसरण जू महाराज जी के जन्मोत्सव के पावन उपलक्ष्य में हनुमंतकुंज आश्रम छपडौर में शिव कथा की बयार बह रही है। साथ ही यज्ञ कार्य भी चल रहा है। जगतपिता परमेश्वर देवो के देव महादेव की महिमा का वर्णन पूज्य निग्रहाचार्य भागवतानंद गुरुजी महाराज के मुखारबिंद से हो रहा है। कथा का श्रीगणेश 24 अक्टूबर को हो चुका है। जो 28 अक्टूबर तक चलेगी। वा यज्ञ 29 अक्टूबर तक चलेगा। 27 अक्टूबर को स्वामी संतसरण गुरुकुल का वार्षिक उत्सव कार्यक्रम होगा जिसमें शिव विवाह वा राम लीला का मंचन गुरुकुल के बच्चो द्वारा किया जाएगा। 28 अक्टूबर को स्वामी संतसरण संस्कृत विद्यापीठ के बटुकों द्वारा अति बलवंत हनुमान जू महाराज के चरित्र का मंचन होगा। निश्चितरूप से ये कार्यक्रम दिव्य ऐतिहासिक होंगे इस गरिमामई पलो के हम सभी को साक्षी बनना चाहिये। 29 अक्टूबर को गोपाष्टमी के दिन पूज्य गुरुदेव सरकार का जन्मोत्सव कार्यक्रम होगा जिसमें तुलादान रंगवर्षा पुष्प वर्षा सहित बधाइयों से भरे कार्यक्रम होंगे साथ ही दिव्य भोज का आयोजन रहेगा। पूज्य गुरुदेव भगवान के 97 वां जन्मोत्सव कार्यक्रम के इन दिव्य पुण्यशाली ऐतिहासिक अविस्मरणीय कार्यक्रम में पधारकर आशीर्वाद प्राप्त कर जीवन को हरिहर कृपा से युक्त बनाये।
गुरु की कृपा का वर्णन सब्दो में नही किया जा सकता गुरु की महिमा क्या होती है इसहेतु प्रभुश्रीकृष्ण, प्रभुश्रीराम चिरंजीवी भगवान श्रीपरशुराम जी के जीवन चरित्र का दर्शन करने से स्वतः ही इस्पस्ट हो जाती है। अखिलकोटी ब्रम्हांड नायक मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम जी तो अपने दिन की सुरुआत माता पिता एवं गुरु को प्रणाम करके करते थे अतः गुरु की महत्ता का वर्णन तो स्वयं जगत के स्वामी कर रहे है। भारतभूमि एक ऐसी पावनभूमि जहां अनेकानेक पर्व , त्यौहार तथा परंपराएं हैं. धार्मिक चेतना का केंद्र कही जाने वाली भारतभूमि विश्व ऊर्जा का केंद्र है। गुरु, शिष्य की ऊर्जा को पहचानकर उसके संपूर्ण सामर्थ्य को विकसित करने में सहायक होता है. गुरु चैतन्य विचारों का प्रतिरूप होता है। हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि दुनियाभर में रहने वाले सनातनी गुरु शिष्य परंपरा से युक्त है।
ऋषियों की इस जागृत धरा पुण्यभूमि देवभूमि वेदभूमि भारतभूमि का ऐसा ही एक पावन पर्व होता है जब गुरुदेव का जन्मोत्सव मनाया जाता है। हमारे यहां ‘अखंड मंडलाकारं व्याप्तं येन चराचरं.तस्मै श्री गुरुवे नम:’ कह कर गुरु की आराधना की जाती है यह एक चिरंतन सत्ता के रूप में की गई है. भारत की सनातन संस्कृति में गुरु को परम भाव माना गया है जो कभी नष्ट नहीं हो सकता, इसीलिए गुरु को व्यक्ति नहीं अपितु विचार की संज्ञा दी गई है। इसी दिव्य भाव ने हमारे राष्ट्र को जगद्गुरु की पदवी से विभूषित किया। जब जब राष्ट्र पर संकट आया, विधर्मी ताकतों ने सनातन की ओर कुदृष्टि दौड़ाई, तब तब गुरुओं ने अपने तप, त्याग, तेज आदि से धर्म की रक्षा की. चाहे वह प्रभु श्रीराम के गुरु विश्वामित्र हों, या प्रभु श्रीकृष्ण के गुरु संदीपन, चाहे वह महर्षि दधीचि हों, आदि शंकराचार्य हों, चाणक्य हों या राजमाता जीजाबाई.. धर्म की रक्षा के लिए समय समय पर ऐसे अनगिनत महापुरुषों ने गुरु बनकर ज्ञान तथा शौर्य की ऐसी ज्योति जलाई जिससे धर्म जागरण की मशाल आज भी दीप्तिमान हो रही है तथा विधर्मियों के तमाम हमलों के बाद भी सनातन बचा हुआ है। जब हम सभी, 29 अक्टूबर गोपाष्टमी के दिन गुरुदेव जी का पावन जन्मोत्सव मनाएंगे गुरुदेव भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे ऐसे में हम सभी को एक सपथ लेनी चाहिये वह है सामाजिक एकत्व की समरसता की हिन्दू हितों को सदैव स्वयं से ऊपर रखने की। वा हिन्दू विरोधियो के पूर्ण बहिष्कार की।
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