एफआईआर के बाद भी सीएमएचओ ने संविदा स्वास्थ्यकर्मी को करवाया जॉइन...!
2 नवम्बर को ब्राम्हणों के खिलाफ आपत्तिजनक स्टेटस लगाकर 3 नवम्बर को सीएमएचओ आरके मेहरा के साथ दिल्ली गये संविदा स्वास्थ्यकर्मी अनिल सिंह 18 दिनों से फरार अंडर ग्राउंड रहे
अचानक सोमवार 21 नवम्बर को आकार सभी प्रभार सम्हाल सभी को चौंका दिया!
सीएमएचओ और संविदा की जोड़ी फिर करेगी कमाल
उमरिया। 8 नवम्बर को अनिल सिंह पर एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही अंडर ग्राउंड हुए संविदा स्वास्थ्य कर्मी अचानक सोमवार 21 नवम्बर को प्रगट हुए और जिला अस्पताल पहुंच कर फिर से अपनी हाजरी लगाई! वही सूत्रों के अनुसार अनिल सिंह ने अपनी पुरानी अनुपस्थिति को उपस्थित में बदल कर फिर वही पुराने रोल में लौट आये हैं!
द सन रिसोर्ट में बनी बात
विश्वासस्त सूत्रों की माने तो ताला बांधवगढ़ स्तिथ द सन रिसोर्ट में सीएमएचओ और संविदा स्वास्थ्य कर्मी अनिल सिंह का पसंदीदा रिसोर्ट है और दोनों की जोड़ी को अधिकांशतः देखा जाता है कुछ समझौतों के तहत संविदाकर्मी और सीएमएचओ की जोड़ी जो कुछ दिनों से बिखर गई थी पुनः एक होकर नए कारनामो के लिए तैयार हैं!
एफआईआर की जानकारी सीएमएचओ ने नकारी
8 नवंबर को संविदा स्वास्थ्य कर्मी अनिल सिंह पर एफआईआर दर्ज की गई थी और जिसकी खबर लगभग सभी समाचार पत्रों और टी वी चैनलों पर आ चुकी है लेकिन उमरिया के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी आर के मेहरा को इसकी जानकारी ही नही है और जल्दबाजी में संविदा एपीडिमियोलॉजिस्ट को जॉइन करवा दिया!
काम करने में होगी परेशानी
उमरिया में ब्राह्मणों का आक्रोश देख पूर्व कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को पत्र लिखकर अनिल सिंह को उमरिया से हटा कर दूसरे जिला भेजने को कहा था और कारण बताया था कि अनिल सिंह को उमरिया में खतरा है और इन्हें यहाँ काम करने में दिक्कत होगी लेकिन सीएमएचओ ने कलेक्टर के आदेश को धता बताते हुए जॉइनिंग करवा दिया अब अगर अनिल सिंह को कार्य करने में कोई दिक्कत आएगी तो क्या इसके जिम्मेदार आर के मेहरा सीएमएचओ होंगे?
विवादों से रह पुराना नाता
संविदा स्वास्थ्य कर्मी अनिल सिंह हमेशा विवादों में ही रहे है और बताया जाता है कि इन्होंने पुराने कलेक्टर से 37 स्वस्थ कर्मचारियों को सस्पेंड करवा दिया और 3 कि तो सेवा ही समाप्त करवा दी और पता नहीं कितनो की विभागीय जांच इनकी बदौलत चल रही है! संविदा कर्मचारी होते हुए भी अपने लिए डॉक्टरों वाला बँगला, गाड़ी सब ले लिया। और इनके ऊपर कोविड काल के दौरान भी स्टोर में समान की खरीदी किए बिना भी अनैतिक तरीके से चढ़ाने का मामला प्रकाश में आया था जिसका स्टोर कीपर ने पत्राचार किया था कोवीड काल में भी कोविड़ की जॉच को लेकर भी भ्रष्टाचार के आरोप जमकर लगे लेकिन कहावत है कि जब "सैया भये कोतवाल तो डर कहे का" को चरितार्थ करते हुए संविदा एपीडिमियोलॉजिस्ट अनिल सिंह ने सही साबित किया है! वैसे इनके कारनामो की फेहरिस्त बहुत लंबी है जिसे कम शब्दों में बयान करना मुमकिन नहीं है!
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