संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र की यूनिट फिर बंद.....?

Jul 5, 2025 - 23:13
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संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र की यूनिट फिर बंद.....?

11 महीने बाद शुरू हुई यूनिट दो दिन भी नहीं चल पाई, करोड़ों की मरम्मत पर उठे सवाल

प्रबंधन की लापरवाही से जनता को बड़ा नुकसान, जवाबदेही तय करने की मांग तेज

उमरिया।  जिले के बिरसिंहपुर पाली में स्थित संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र की 210 मेगावाट की एक नंबर यूनिट एक बार फिर ठप हो गई है। यह वही यूनिट है जो 16 अगस्त 2024 को तकनीकी खराबी के कारण बंद हुई थी और करीब 11 महीने बाद करोड़ों रुपए की लागत से मरम्मत कर कुछ दिन पहले ही पुनः चालू की गई थी। लेकिन महज एक से दो दिनों के भीतर ही यूनिट में फिर खराबी आ जाना न सिर्फ तकनीकी विफलता दर्शाता है, बल्कि प्रबंधन की कार्यशैली और जवाबदेही पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।

          सूत्रों के अनुसार यूनिट को फिर से बंद करने का कारण ब्वॉयलर ट्यूब में लीकेज पाया गया है। यह वही ब्वॉयलर है, जिसमें लंबे समय तक तकनीकी मरम्मत की गई थी और बड़े-बड़े दावे किए गए थे कि अब यूनिट सुचारू रूप से कार्य करेगी। लेकिन हकीकत ये है कि यूनिट की स्थिति पहले जैसी ही है ठप और घाटे में।

लाखों का रोजाना नुकसान, पर जवाबदेही तय नहीं

          संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र की एक यूनिट बंद होने से प्रतिदिन लाखों रुपये का नुकसान होता है। उत्पादन ठप पड़ने से जहां बिजली की आपूर्ति पर असर पड़ता है, वहीं राज्य सरकार को भी राजस्व हानि का सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद अब तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि करोड़ों की लागत से की गई मरम्मत आखिर कितनी प्रभावी रही? और अगर यूनिट फिर से बंद हो गई, तो उसके लिए जिम्मेदार कौन है?

मुख्य अभियंता का गैर-जिम्मेदाराना बयान

          जब इस संबंध में मुख्य अभियंता एच.के. त्रिपाठी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि काम करने के लिए यूनिट को बंद किया गया है। यह बयान न सिर्फ असत्य प्रतीत होता है, बल्कि इससे यह भी स्पष्ट होता है कि अधिकारी स्थिति को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि तकनीकी सूत्र खुद यह स्वीकार कर रहे हैं कि ब्वॉयलर ट्यूब में गंभीर लीकेज हुआ है।

हमेशा विवादों में रहा है SGTPS

         संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र बीते कई वर्षों से अपनी अव्यवस्था, तकनीकी खराबियों और बार-बार यूनिट बंद होने के कारण सुर्खियों में रहा है। आए दिन किसी न किसी यूनिट में तकनीकी खराबी आना यह दर्शाता है कि या तो मरम्मत कार्य सिर्फ दिखावे के लिए किया जाता है या फिर ठेकेदारों और इंजीनियरों के बीच मिलीभगत से घटिया सामग्री और तकनीक का उपयोग होता है।

जनता पूछ रही सवाल, जांच की मांग 

          सवाल उठना लाजमी है कि जब यूनिट को ठीक करने में करोड़ों रुपये खर्च किए गए, तो वह दो दिन भी क्यों नहीं चल पाई? क्या मरम्मत कार्य में गुणवत्ता की अनदेखी हुई? क्या ठेकेदारों को बिना निगरानी के कार्य सौंपा गया? और इन सबके बीच प्रबंधन की भूमिका क्या रही?

          अब वक्त आ गया है कि संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र के प्रबंधन की जवाबदेही तय की जाए। सरकार और ऊर्जा विभाग को इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच करानी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाही और धन की बर्बादी को रोका जा सके। अन्यथा इसका खामियाजा न केवल राज्य के खजाने को उठाना पड़ेगा, बल्कि आम नागरिकों को भी बिजली संकट के रूप में भुगतना पड़ेगा।

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