7 दिवस के अंदर रिहा नही किया गया तो पार्टी करेगी "जेल भरो आंदोलन"-राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, गोंडवाना पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन

Oct 4, 2023 - 10:20
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7 दिवस के अंदर रिहा नही किया गया तो पार्टी करेगी "जेल भरो आंदोलन"-राष्ट्रीय उपाध्यक्ष,  गोंडवाना पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन

उमरिया।  मंगलवार को गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष समेत कई पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है।  ज्ञापन के बाद गोंगपा पदाधिकारी न्यायिक अभिरक्षा में जेल में बंद कार्यकर्ताओं से भी मिलने गए थे।  ज्ञापन के दौरान गोंगपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इरफान मलिक ने कहा कि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी हिंसा पर विश्वास नही करती बल्कि संवैधानिक मूल्यों पर लोकतांत्रिक तरीके से राजनीति करने पर विश्वास रखती है।उन्होंने कहा कि 26 सितंबर को भ्र्ष्टाचार के विरुद्ध हमारी पार्टी धरना प्रदर्शन कर रही थी, पर दूसरे दलों और असमाजिक तत्वों ने हिंसा कारित की, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।  उन्होंने आगे कहा कि 7 दिवस के अंदर गिरफ्तार पार्टी कार्यकर्ताओं को अगर रिहा नही किया गया तो पार्टी जेल भरो आंदोलन करेगी,और भ्र्ष्टाचार के विरुद्ध पुनः आंदोलन प्रारम्भ करेगी।

           ज्ञापन के दौरान गोंगपा के प्रदेश अध्यक्ष अमान सिंह पोर्ते ने कहा कि हम 26 सितंबर को धरना प्रदर्शन के माध्यम से अपने हक और अधिकार के लिए लड़ना चाह रहे थे, पर कुछ शरारती तत्वों ने हिंसा भड़काई, जिसके बाद पुलिस और पार्टी कार्यकर्ताओं में झड़प हुई है।  उन्होंने कहा कि आदिवासियों को सताया जा रहा है।  शेर पालने के लिए आदिवासी समाज को जंगल से बाहर किया जा रहा है, इसके अलावा कोयला निकालना हो या बांध बनाना हो हम आदिवासी को परेशान किया जा रहा, इसके अलावा शासन द्वारा निर्धारित राशि का भी बंदर बांट किया जा रहा है, हम अपने अधिकार और हक के लिए लोकतांत्रिक तरीके से लड़ रहे है।  26 सितंबर को भी इन्ही समस्याओं को लेकर पार्टी प्रदर्शन कर रही थी।

          विदित हो कि 26 सितंबर को हुई सियासी हिंसा में पुलिस और गोंगपा कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई थी, जिसके बाद क़ई असमाजिक तत्वों की गिरफ्तारियां हुई थी, गोंगपा पदाधिकारी उसी मामले में मंगलवार को मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपे है।

26 सितंबर-हिंसा की पराकाष्ठा थी

           शहर में 26 सितंबर को गोंगपा प्रदर्शन के दौरान जिस हिंसा को आम लोगों ने नंगी आंखों से देखा है, भीड़ ने जिस तरह पुलिस अधिकारियों के साथ नफरत और बर्बरता पूर्ण रवैया अपनाया है, उसे संवैधानिक मूल्यों पर लोकतांत्रिक तरीके से राजनीति करना कदापि नही कहा जा सकता बल्कि पूरी लोकतांत्रिक प्रक्रिया का माख़ौल उड़ाना ज़रूर कह सकते है।प्रदर्शन के दौरान व्यापारियों और प्रशासन के खिलाफ हेट स्पीच और भाषण के दौरान लूटपाट जैसी घटनाओं को अंजाम देने की बातें दूसरे राजनीतिक दल नही, बल्कि पार्टी के ही जिम्मेदार लोग ऐसा कह रहे थे।  इस हिंसा की वीडियो फुटेज जिसने भी देखी है, उन्होंने इस पूरी घटना की कड़ी निंदा की है, खास तौर से राजनीतिक दलों ने भी घटना की कड़ी भर्त्सना कर कार्यवाही की बात कही है।  इस हिंसा में एक नही बल्कि डेढ़ दर्जन से अधिक वो पुलिस अधिकारी घायल हुए है, जो शहर की सुरक्षा में भीड़ को रोकने वारदात स्थल पर मुस्तैद थे।वारदात के हफ्ते भर बाद भी क़ई पुलिस कर्मी अभी भी अस्पतालों में भर्ती है।  शांति के टापू उमरिया शहर को जिस तरह 26 सितंबर को अघोषित (ब्लैक डे) बनाया गया और सियासी हिंसा का बदनुमा दाग दिया गया है, शायद समूचा शहर कभी नही भूलेगा।  गोंगपा को पार्टी हित मे इस पूरी वारदात पर समीक्षा करने की ज़रूरत है साथ ही पार्टी नीतियों से परे जाकर जिन लोगो ने भीड़ के रूप में हिंसा को हथियार बनाया,उन्हें पार्टी स्तर से हमदर्दी नही बल्कि बाहर का रास्ता दिखाने की ज़रूरत है। 

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