स्वास्थ्य विभाग में बन रहा आरटीआई का मखौल
उमरिया। सरकारी कार्य में पारदर्शिता लाने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में नागरिकों को सरकारी काम काज की निगरानी का अधिकार देने के लिए बनाया गया सूचना का अधिकार अधिनियम अब सरकारी कार्यालयों में मखौल बनकर रह गया है। ऐसे आवेदनों को जहां अधिकारी तवज्जो नहीं दे रहे हैं, वहीं नागरिकों को सूचना पाने के लिए जोर लगाना पड़ रहा है।
वही जिला स्वास्थ्य विभाग के बाबू कौशल साकेत जिन पर खनिज मद में करोड़ों के हेर फेर का आरोप लगा हुआ है और उसकी जांच भी चल रही है उन्होंने जैसे आर टी आईं में चाही गई जानकारी न देने की जैसे कसम ही खा रखी है न तो इन्हें नियम कानून की परवाह न ही प्रशासन का डर।
उमरिया निवासी कृष्ण कुमार ने गत 30 जनवरी को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी उमरिया के कार्यालय में आवेदन करते हुए जानकारी मांगी। आवेदन को 1 माह से अधिक समय व्यतीत होने के बावजूद अभी तक स्वास्थ्य विभाग ने मांगी गई सूचनाएं नहीं दी है। जबकि कानून में दो दिन के भीतर से लेकर 30 दिन के भीतर सूचना देना का स्पष्ट प्रावधान है। इसके पूर्व में भी कई आर टी आई स्वास्थ्य विभाग में लगाकर जानकारी चाही गई थी लेकिन आज 6 माह तक कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई। वही आर टी आई बाबू ने 30 जनवरी 2023 की आर टी आई के जबाब में 3 जनवरी को संबंधित विभाग और अधिकारियों से 3 जनवरी 2023 को पत्र जारी कर जानकारी देने का पत्र जारी किया जबकि यह पत्र उन्हें 3 फरवरी की डेट में जारी करना था लेकिन संबंधित अधिकारियों को बचाने में हदे पार करते हुए तारीखों के जाल में फसाकर बाबू कौशल साकेत जिम्मेदार न दिखाकर लापरवाही की हदे ही पार कर रहे हैं!
विभागीय उपेक्षा के चलते आवेदक सूचना पाने के लिए दर दर भटकने को मजबूर है। उन्होंने कहा कि लोक सेवकों का दायित्व है कि वे अपने कर्तव्यों का पालन करें लेकिन इसके बावजूद कोई अधिकारी सूचना नहीं दे रहा है। उसके खिलाफ सूचनाधिकार में अपील के साथ भारतीय दंड संहिता के संगत प्रावधान के तहत थाने में कार्रवाई कराई जाएगी।
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