......ऐसे चल रहा मानपुर का सामुदायिक स्वास्थ केंद्र
न डाक्टर न दवाई, आए दिन मरीजों की हो रही मौत
उमरिया। मानपुर विधानसभा क्षेत्र मुख्यालय स्थित करीब सैकड़ों गांव के बीच में एक सामुदायिक स्वास्थ केंद्र है ओ भी डाक्टर विहीन है। कहने को तो मानपुर क्षेत्र के नेता स्थानीय स्तर से लेकर दिल्ली तक अपनी पहुंच वा पकड़ मजबूत बनाए हुए हैं, इतना ही नही मानपुर की लोकप्रिय विधायक जो मध्यप्रदेश शासन में मंत्री पद पर विराजमान हैं , जिनके हांथ में भला क्या नही है लेकिन किस काम के जो अपने पसंदीदा क्षेत्र को सुविधाएं न दिला सकें ऐसे में भला नेताओं की पहुंच व पकड़ आखिर किस काम की।
एक डाक्टर ओ भी लड़ाकू-सू
सूत्रों द्वारा मिली जानकारी अनुसार मानपुर सामुदायिक स्वास्थ केंद्र में एक डाक्टर पदस्थ है जो अस्पताल की बजाए अपने कमरे में बनाए क्लीनिक पर ज्यादा बैठते है। इतना ही नहीं बीमार हालत में इलाज कराने गरीब आदिवासी अगर उक्त डाक्टर के पास पहुंचते हैं तो उनके द्वारा पहले पैसा पूंछा जाता है कि कितना ले कर आए हो। अब माननीय महोदय डाक्टर साहब को कौन समझाए की गरीब व्यक्ति कहां पाएगा पैसा , इसीलिए तो शासन प्रशासन द्वारा दी गई सुविधा पर इलाज कराने आया है । मतलब जिसके पास डाक्टर को फीस देने के लिए पैसा है वही डाक्टर साहब से इलाज करा सकता है, नही तो मरीज को अस्पताल में डॉक्टर साहब के आने का इंतजार करना पड़ता है। चाहे कुछ टाइम बाद इलाज के अभाव में मरीज की मौत क्यों न हों जाए। इतना ही नहीं उक्त डाक्टर साहब इलाज करते करते मरीज या उसके परिजन के साथ कब कितनी समय अपशब्द बातों का प्रयोग करते हुए झगड़ने लगें यह कोई नही जानता मरीज के परिजन वा डाक्टर के बीच आए दिन होने वाली कहा सुनी इन दिनों क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है और तो और इन दिनों अस्पताल के स्टाप नर्शों का भी तड़पते मरीज वा उनके परिजनों के साथ हो रही कहा सुनी की विडियो आए दिन किसी न किसी के मोबाइल पर देखी जा सकती है
मेडिकल संचालकों से डाक्टर के अच्छे संबंध
सूत्रों की माने तो डॉक्टर की सेवा में उनके इर्द गिर्द मेडिकल संचालकों के लगाए हुए लड़के हर दम बने ही रहते हैं उनके पीने का पानी से लेकर भोजन तक की व्यवस्था में हर दम तत्पर रहते हैं इतना ही नहीं मेडिकल संचालकों द्वारा डाक्टर साहब की खातिरदारी करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ा जाता शायद इसी लिए डॉक्टर साहब भी अस्पताल छोड़ मेडिकल की दवाइयां ज्यादा लिखते हैं जिस कारण गरीब आदिवासी मुफ्त के इलाज की वजाय आर्थिक रूप से परेशान हो कर ठगे जा रहे हैं।
नदारद रहते हैं बीएमओ
सूत्रों की माने तो मानपुर में पदस्थ खण्ड चिकित्सा अधिकारी (बीएमओ) को मानपुर का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पसंद नही आ रहा है, जो हफ्ते में एकाध बार अस्पताल पहुंचते हैं। बाकी दिन उनके दर्शन नही होते, इतना ही नहीं अस्पताल के कुछ कर्मचारियों ने नाम न लिखने की शर्त पर बताया की कभी कभी महीना बीत जाता है और हम स्टाफ़ के लोगों को अपने अधिकारी के दर्शन नही होते, सारा काम फोन के माध्यम से ही होता है, यहां अस्पताल में चाहे सब कुछ बर्बाद हो जाए उनसे कोई मतलब नही रहता।
जिले के संवेदनशील कलेक्टर महोदय से जनापेक्षा है कि समय रहते मानपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का औचक निरीक्षण किया जाए ताकि गरीब आदिवासी बीमार व्यक्तियों के साथ हो रहे दुराभाव की जानकारी लग सके साथ ही अस्पताल की खस्ताहाल व्यवस्था को सुधरवाने हेतु पहल करते हुए संबंधित डाक्टरों को अस्पताल परिसर में बैठने का आदेश दिया जायें। ताकि क्षेत्र के बीमार गरीबों को आसानी से चिकित्सा उपलब्ध हो सके।
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