विश्व बाघ दिवस पर विशेष

न्यूज़ डेस्क। जैसा कि बाघ (tiger)भारत का राष्ट्रीय पशु है।इसे वैज्ञानिक भाषा में panthera tigers कहते हैं। बाघों के महत्व एवं संरक्षण के प्रति व्यापक स्तर पर जन-जागरूकता को बढ़ावा देनें हेतु प्रति वर्ष 29 जुलाई को "विश्व बाघ दिवस '' मनाया जाता है। बाघों की पर्यावरण संतुलन में अहम भूमिका है। शाकाहारी और मांसाहारी प्राणियों तथा वनस्पतियों के बीच बाघ परस्पर संतुलन बनायें रखतें हैं। यदि बाघ न हों तो शाकभक्षी प्राणियों की संख्या बढ़ जायेगी जिससे वनस्पतियों पर संकट आ जायेगा।
बाघ भारत के अलावा नेपाल, भूटान,रूस, कंबोडिया आदि कई एशियाई देशों में पाये जातें हैं और बाघों की वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक आबादी भारत में पाई जाती है। वर्तमान समय में भारत में 3 हजार से ज्यादा बाघ हैं। लेकिन जंगलों के खत्म होनें, लैंटाना घांस के फैलाव, सड़क एवं रेलमार्ग के निर्माण तथा अवैध शिकार आदि कारणों के चलते बाघों के अस्तित्व पर संकट बना हुआ है।
भारत सरकार द्वारा बाघ संरक्षण के लिए अनेकों "टाईगर रिजर्व ''बनाये गये हैं और बाघ है तो जंगल है। हमें इस शानदार वन्यप्राणी के संरक्षण की जरूरत है ताकि जंगल एवं प्रकृति में संतुलन कायम रहे।
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