कोरोना काल के बाद बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, गुमे बच्चों की दस्तयाबी तथा पोषण पर विशेष ध्यान दिया जाए - श्री बृजेश चौहान
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उमरिया । बच्चे देश के भविष्य होते है । कोरोना काल के कारण उत्पन्न हुई परिस्थितियों में स्कूलों के बंद होने तथा ऑनलाईन शिक्षा की व्यवस्था होने से बच्चों में मोबाईल के उपयोग की आदते बढ़ी है, इसके दुष्परिणाम भी सामनें आ रहे है। बच्चे सायबर क्राईम और मोबाईल में ज्यादा समय व्यतीत कर रहे है। बच्चों की बेहतरी के लिए प्रयासों की अधिक आवश्यकता है, जिससे वे पुनः सामान्य स्थिति में आ सके। इसके लिए बच्चों को शालाओं, आंगनबाड़ी में प्रवेश तथा वहां का वातावरण चाईल्ड फ्रेंडली बनाएं जानें की जरूरत है। इस आशय के विचार बाल संरक्षण आयोग के सदस्य श्री बृजेश चौहान ने कलेक्ट्रेट सभागार में बैठक को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
बैठक में कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव, अपर कलेक्टर अशोक ओहरी, अनुविभागीय अधिकारी मानपुर सिद्धार्थ पटेल, अनुविभागीय अधिकारी पाली नेहा सोनी, , जिला बाल कल्याण संरक्षण समिति के अध्यक्ष दिव्य प्रकाश गौतम, सदस्य अरूण त्रिपाठी, श्रीमती गौतम, एसडीओपी पुलिस भारती जाट, जिला शिक्षा अधिकारी उमेश कुमार धुर्वे, जिला समन्वयक सर्व शिक्षा अभियान सुमिता दत्ता सहायक संचालक महिला एवं बाल विकास विभाग दिव्या गुप्ता, राजीव गुप्ता, सहित श्रम, स्वास्थ्य, महिला बाल विकास विभाग तथा पुलिस विभाग के मैदानी अधिकारी उपस्थित रहे।
श्री चौहान ने बैठक में गुमशुदा बच्चों की जानकारी लेते हुए उन्हें शीघ्र दस्तयाब करनें तथा उनके प्रकरण जिला बाल कल्याण समिति को भेजने की बात कही। इसी तरह बाल मजदूरी एवं बंधुआ मजदूरी से संबंधित प्रकरणों की खोज के लिए विशेष अभियान संचालित करनें की बात कही। उन्होंने कहा कि शत प्रतिशत बच्चों को शालाओं मे दाखिला दिलाया जाए । स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए। बच्चों के स्कूल के बस्ते के बोझ को कम किया जाए। जिन स्कूलों द्वारा अवहेलना की जाए तो उनके विरूद्ध कार्यवाही की जाए । आपने बताया कि कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों के स्कूली बस्तें का बोझ 2.5 किलोग्राम से 3 किलोग्राम तक, तथा 5 से 8वीं तक के बच्चों का 3 किलो ग्राम से 5 किलोग्राम तक हो सकता है। बैठक में आंगनबाड़ी केन्द्रों को गोद लेने, पोषण आहार के वितरण , दिव्यांग बच्चों के केयर की व्यवस्था , कोरोना काल में ऐसे बच्चे जिनके माता पिता दिवंगत हो गए है ऐसे बच्चे जिनके एक ही अभिभावक है , को बाल कोविड योजना तथा पीएम केयर योजना से लाभान्वित होने के साथ ही फास्टर केयर योजना के बेहतर क्रियान्वयन हेतु जिला प्रशासन को बधाई दी।
कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने बताया कि स्कूलों में ड्राप आउट बच्चों की मैपिंग कर दाखिला दिलानें का कार्य किया जा रहा है। जिले में संचालित 783 आंगनबाड़ी केन्द्रोें को स्थानीय नागरिकों द्वारा गोद लिया गया है। जिले में एक ही अभिभावक वाले चिन्हित 155 बच्चों को एसईसीएल द्वारा गोद लिया गया है तथा उन्हें दो हजार रूपये प्रति माह की दर से सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। इसी तरह बाल कोविड योजना के तहत ऐसे बच्चे जिनके माता पिता की कोरोना काल में मृत्यु हो गई है, जिलें मे दो बच्चे चिन्हित किए गए है जिन्हें बाल कोविड योजना तथा पीएम केयर योजना का लाभ दिया जा रहा है। बैठक में विभिन्न विभाग के अधिकारियों द्वारा विभागीय गतिविधियों तथा उपलब्धियों की जानकारी दी गई।
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