अमृत महोत्सव के अवसर पर बनवासी लीला का आयोजन माँ बिरासनी की नगरी बिरसिंहपुर पाली में हुआ
उमरिया। मध्यप्रदेश पर्यटन एवं संस्कृति विभाग द्वारा माँ बिरासनी की नगरी बिरसिंहपुर पाली में दो दिवसीय कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ, कार्यक्रम की मुख्य अतिथि मीना सिंह मंत्री मध्यप्रदेश शासन मौजूद रही। कार्यक्रम के शुभारंभ में मंत्री मीना सिंह ने क्षेत्रीय नेताओं के साथ दीप प्रज्ज्वलित किया, भारत वर्ष में जब धर्म की बात आती है तो भगवान श्री राम चन्द्र का नाम बड़े आदर एवं सत्कार से लिया जाता है, क्योंकि वह पृथ्वी में अवतरित होकर मानव संप्रदाय को धर्म एवं संस्कृति का पाठ पढ़ाया, मर्यादा में रहकर गुरुओं एवं माता-पिता का आज्ञा का पालन करना एवं माता-पिता और गुरु को भगवान का दर्जा देना, मानव समाज को इसकी प्रेरणा भगवान श्री राम चन्द्र से मिली।
वनवासी लीला कार्यक्रम में शबरी जी का पाठ भी बाहर से आये हुए कलाकारों के द्वारा शानदार प्रस्तुति के साथ दिखाया गया, जिनमें भगवान शबरी के दिये हुए झूंठे फल को खाते हैं और उन्हें फल बहुत अच्छे लगते हैं, यह मानव समाज के लिए एक प्रेरणा हैं, जो धर्म एवं संस्कृति पर सवाल खड़े करते हैं, जो किसी भी धर्म के आराध्य पर सवाल खड़े करते हैं।
वनवासी लीला कार्यक्रम के दौरान अनेक विंदुओं ऐसे आये, जिन्हें देखने एवं सुनने के बाद समाज को एक नई पहचान मिली, अधर्म एवं अनाचारी का जब पाप बढ़ता है, तो उसे समाज सम्मान के साथ नही बुलाती, उसका अनादर एवं तिरस्कार हर स्थान पर होता है, अब आपके और हमारे लिए कुछ प्रश्न खड़े होते हैं,जब धर्म एवं संस्कार की बात होती है,पहला कर्तव्य माता-पिता का होता है,कि हम बच्चों को क्या संस्कार दें,सभी माता पिता चाहते हैं हमारे बच्चे बड़ो का आदर करें,बच्चों को धर्म का ज्ञान हो, पर ज़्यादातर ऐसा देखने को नही मिलता,शिक्षा का ज्ञान तो विद्यालयों में प्राप्त होता है,किंतु संस्कार एवं धर्म का ज्ञान,बच्चों को माता पिता से ही प्राप्त होता है,आज एक आई.ए.एस.एवं आई.पी.एस.अधिकारी समय निकाल कर अपने बच्चों को धर्म एवं संस्कार का पाठ पढ़ातें हैं, दिन भर इधर उधर की बातें करने वाले माता-पिता बच्चों के लिए समय नहीं निकाल पाते,जो माता पिता घर में बैठकर बच्चों को मोबाइल पकड़ा देते हैं,कि बच्चा रो रहा है और उसके हाथ मे मोबाइल फोन दे देते हैं ,मोबाइल देने से शांत हो जाएगा,यह सोचकर,क्या उनको पता है कि उनका आने वाला कल,उनके लिए दुख दायी साबित होगा,बड़े अधिकारियों से सीख जरूर लेनी चाहिए,जब बच्चा पांच वर्ष के न्यूनतम आयु में रहता है तब पिता को धर्म का पाठ पढ़ाना चाहिए,संस्कार सिखाना चाहिए,क्योंकि अब विद्यालय में शिक्षा के अलावा कुछ प्राप्त नही होता,कुछ चंद विद्यालय ही बचे हैं जहाँ पर संस्कार,बड़ों का आदर करना बतलाया जाता है, इसलिए घर में बच्चों को मोबाइल की जगह उन्हें नई नई कहानी सुनाना चाहिए ,जिनमे संस्कार हो,धर्म का ज्ञान हो,आज 40 से 45 वर्ष के व्यक्तियों को रामायण एवं महाभारत जैसे धार्मिक धारावाहिक को देखने के बाद,व्यक्ति के मन मे धर्म एवं संस्कार आये हैं,इसलिए आज वो अपने संस्कृति को नही भूले,किंतु बर्तमान में बच्चों को tv में,छोटा भीम,हथौड़ी जैसे कार्टून धारावाहिक देखने में मस्त रहते हैं,और माता पिता भी बच्चों के साथ रम जाते हैं,मेरा देश बदल रहा है।
अमृत महोत्सव कार्यक्रम में पाली अनुविभागीय अधिकारी नेहा सोनी, पाली थाना प्रभारी, भाजपा नेता सरजू अग्रवाल, वरिष्ठ नेता रमेश मिश्रा, प्रकाश पालीवाल, भाजपा मंडल अध्यक्ष, समाजसेवी अरुण त्रिपाठी, सतीश सोनी, पाली नगर के तमाम पत्रकार एवं समाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे।
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