मानवाधिकार भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा -डॉ आरके झा
मानवाधिकार दिवस पर पाली महाविद्यालय में कार्यक्रम का आयोजन
उमरिया। मानवाधिकार प्राचीन समय से ही भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहे हैं। भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति ने हमेशा से ही मानव एवं उसके अधिकारों का संरक्षण एवं पोषण किया है। कालांतर में इसमें और विकास हुआ एवं आधुनिक काल में मानवाधिकार आम आदमी के हितों के संरक्षण के साक्षी रहे हैं।
उक्त उद्गार मुख्य अतिथि की आसंदी से बोलते हुए शासकीय महाविद्यालय बिरसिंहपुर पाली के प्राचार्य डॉ. आरके झा ने व्यक्त किये। उल्लेखनीय की मानवाधिकार दिवस के उपलक्ष्य में शासकीय महाविद्यालय बिरसिंहपुर पाली की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम का शुभारंभ सर्वप्रथम मां सरस्वती के तैल चित्र पर दीप प्रज्वलित कर एवं माल्यार्पण कर किया गया एवं महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम में बोलते हुए डॉ गंगाधर ढोके ने मानवाधिकारों के साथ-साथ मूल कर्तव्यों पर भी प्रकाश डाला। राजनीति शास्त्र विभाग की डॉ रितु सेन ने मानवाधिकारों की संवैधानिक पृष्ठभूमि एवं मूल अधिकारों पर चर्चा की। सहायक प्राध्यापक हरलाल अहिरवार, अनुभव श्रीवास्तव एवं डॉ त्रिभुवन गिरी इत्यादि ने मानवाधिकारों की महत्ता एवं वर्तमान समय में मानवाधिकारों की प्रासंगिकता विषय पर विद्यार्थियों को संबोधित एवं उनका ज्ञानवर्धन किया।
कार्यक्रम का संचालन कर रहे अंग्रेजी विभाग के डॉ. मंसूर अली ने मानवाधिकारों एवं भारतीय संविधान में प्रदत्त मूल अधिकार के अंतर-संबंध पर चर्चा की। कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शन डॉ शाहिद सिद्दीकी द्वारा किया गया। कार्यक्रम में डॉ नरेश प्रसाद शुक्ला, डॉ मनीषा अग्रवाल, क्रीड़ाधिकारी शमशेर अली, बालेंद्र यादव महाविद्यालयीन स्टाफ एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
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