कालेज में "एक राष्ट्र एक चुनाव" विषय पर संगोष्ठी संपन्न

Apr 22, 2025 - 23:43
 0  30
कालेज में "एक राष्ट्र एक चुनाव" विषय पर संगोष्ठी संपन्न

बार-बार चुनाव होने से भारी धन के साथ समय की भी होती है बर्बादी-मिथलेश मिश्रा

उमरिया। प्रधानमंत्री कॉलेज आफ एक्सीलेंस शासकीय आरव्हीपीएस महाविद्यालय उमरिया में एक राष्ट्र एक चुनाव विषय को लेकर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रदेश कार्य समिति सदस्य मिथलेश मिश्रा,सेवानिवृत प्राध्यापक डॉक्टर एमएन स्वामी, अधिवक्ता विनय मिश्रा एवं महाविद्यालय की प्राचार्य इतिहासवेता डॉक्टर विमला मरावी के द्वारा एक राष्ट्र एक चुनाव विषय को लेकर अपने उद्बोधन दिए हैं। कार्यक्रम की शुरुआत में सबसे पहले सभी अतिथियों का का स्वागत पुष्प कुछ देखकर किया गया इसके पश्चात कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।

          एक राष्ट्र एक चुनाव कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अधिवक्ता मिथिलेश मिश्रा ने अपने उद्बोधन में कहा कि चुनाव एक लोकतांत्रिक प्रणाली को बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण साधन है। स्वतंत्रता के बाद भारत में चुनावी प्रक्रिया में सुधार की दिशा में कई कदम उठाए गए हैं। उन्होंने बताया कि एक राष्ट्र एक चुनाव का तात्पर्य है कि भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव एक साथ आयोजित किए जाएं।

          इसका मतलब है कि यह सभी चुनाव हर 5 वर्ष में केवल एक बार ही होंगे, जिससे भारत को मध्यावर्ती और निरंतर चुनाव से मुक्त किया जा सकेगा। श्री मिश्रा ने उपस्थित छात्रों को यह भी बताया कि बार-बार मध्यवर्ती चुनाव होने से सरकार का भारी मात्रा में धन खर्च होता है एवं अनावश्यक समय की बर्बादी भी होती है। इस विचार का समर्थन भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन के विभिन्न राजनीतिक दल कर रहे हैं।

          महाविद्यालय के सेवा निवृत प्राध्यापक एवं बांधवगढ़ विधानसभा क्षेत्र के विधायक के निज सहायक डॉक्टर महेशानंद स्वामी ने इस विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत में एक राष्ट्र एक चुनाव का विचार बिल्कुल नया नहीं है। स्वतंत्रता के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में सभी राज्यों के विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ हुए थे, यानी देश की शासन प्रणाली प्रशासनिक एवं अन्य संस्थाओं को एक राष्ट्र एक चुनाव का अनुभव पूर्व से ही है। भारत के राजनीतिक परिदृश्य में पिछले सात दशकों से एक राष्ट्र एक चुनाव का मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ है। 1983 में चुनाव आयोग और 1999 में विधि आयोग के साथ-साथ तीन विभिन्न संसदीय समितियां ने भी इस विचार का समर्थन किया था। यह विषय भारत के राजनीतिक चर्चाओं में सदैव महत्वपूर्ण रहा है तथा वर्तमान में इसे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रमुखता से उठाया है।

          इसके अलावा महाविद्यालय की प्रभारी प्राचार्य एवं प्रख्यात इतिहासवेता डॉक्टर विमला मरावी ने अपने अध्यक्षी उद्बोधन में बताया कि एक राष्ट्र एक चुनाव का विचार भारत के संपूर्ण राजनीतिक संरचना पर गहरा प्रभाव डालने वाला विचार है। यह सभी वर्गों को प्रभावित करते हुए एक नई राजनीतिक दृष्टिकोण को विकसित करने में सहायक होगा तथा इसे संविधान में कुछ संशोधन करने की आवश्यकता होगी। उक्त संगोष्ठी का संयोजन समाजसेवी नितिन बसानी के द्वारा किया गया तथा कार्यक्रम का सफल संचालन महाविद्यालय के अर्थशास्त्री राजेंद्र प्रसाद पटेल के द्वारा किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना के जिला संगठक अर्थशास्त्री डॉक्टर अरविंद शाह बड़करे, भौतिकशास्त्री डॉक्टर देवेश कुमार अहिरवार एवं अधिवक्ता विनय मिश्रा के अलावा महाविद्यालय स्टाफ तथा छात्र-छात्राओं की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow