परशुराम जयंती बड़े धूमधाम से मनायी गई

May 5, 2022 - 05:01
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परशुराम जयंती बड़े धूमधाम से मनायी गई

*उमरिया ।  भगवान परशुराम जी की जयंती को बड़े धूमधाम से   नगर परिषद मानपुर में मनाया गया।  दिनाँक 03-05-2022 दिन मंगलवार, तिथि अक्षय तृतीया को मानपुर नगर में ब्राम्हणों द्वारा राम जानकी मंदिर में भगवान परशुराम जी की जन्म जयंती बड़े धूमधाम से मनाई गई, भगवान परशुराम जी पर पुष्प अर्पित कर, आरती गायन हुआ एवं प्रसाद वितरण किया गया।

          आइये हम भगवान परशुराम के बारे में जानने का प्रयास करतें हैं, भगवान परशुराम जी के जयकारे से समस्त राम मंदिर गूंज उठा, परशुराम जी त्रेता युग (रामायण काल) में एक ब्राह्मण ऋषि के यहाँ जन्मे थे, जो भगवान विष्णु के दस अवतारों में यह छठवां  अवतार हैं।  पौरोणिक वृत्तान्तों के अनुसार उनका जन्म महर्षि भृगु के पुत्र महर्षि जमदग्नि द्वारा सम्पन्न पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न देवराज इन्द्र के वरदान स्वरूप पत्नी रेणुका के गर्भ से वैशाख शुक्ल तृतीया को मध्यप्रदेश के इन्दौर जिला में ग्राम मानपुर के जानापाव पर्वत में हुआ, वे भगवान विष्णु के आवेशावतार हैं,महाभारत और विष्णु पुराण के अनुसार परशुराम जी का मूल नाम राम था, किन्तु जब भगवान शिव ने उन्हें अपना परशु नामक अस्त्र प्रदान किया, तभी से उनका नाम परशुराम जी हो गया। पितामह भृगु द्वारा सम्पन्न नामकरण संस्कार के अनन्तर राम कहलाए, वे जमदग्नि का पुत्र होने के कारण जामदग्न्य और शिवजी द्वारा प्रदत्त परशु धारण किये रहने के कारण वे परशुराम जी कहलाये।  जन्म से ब्रह्मण कर्म से क्षत्रिय भी कहा गया है।  भगवान परशुराम जी को महर्षि भृगु के प्रपौत्र वैदिक ॠषि ॠचीक के पौत्र जमदग्नि के पुत्र महा भारत काल के वीर योद्धाओं पितामह भीष्म द्रोणाचार्य एवं कर्ण जैसे महारथी को अस्त्र-शस्त्रों की शिक्षा देने वाले गुरु थे, शस्त्र एवं शास्त्र के धनी ॠषि परशुराम एक ब्राह्मण के रूप में जन्मे जरूर थे,लेकिन कर्म से वे एक क्षत्रिय थे,जनक नंदनी सीता जी के स्वयंबर के समय लक्ष्मण जी से संबाद हुआ,अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए अपनी माँ का शीश धड़ से अलग कर दिया था,ऐसी तमाम रोचक कहानियां हैं,परशुराम जी के बारे में ।

          मानपुर नगर में भगवान परशुराम के जयंती के अवसर पर पंडित रामकिशोर चतुर्वेदी, रमेश मिश्रा, ओ पी द्विवेदी, अरुण त्रिपाठी, राज नारायण भट्ट, त्रिवेणी शरण द्विवेदी सहित अन्य ब्राम्हण मौजूद रहे।

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