नर्मदापुरम को टूरिज्म कैपिटल बनाने के लिए निजी सहभागिता और नए आइडिया जरूरी - कलेक्टर एन.के.सिंह
नर्मदापुरम। पर्यटन और विरासत प्रबंधन विषय पर गुरुवार को नर्मदा महाविद्यालय नर्मदापुरम में राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन विश्व बैंक परियोजना एवं जनभागीदारी समिति के माध्यम से किया गया।
नर्मदापुरम कलेक्टर नीरज कुमार सिंह के मुख्य आथित्य में संगोष्ठी का आयोजन हुआ, अध्यक्षता पंडित भवानी शंकर शर्मा द्वारा की गई। मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन कर संगोष्ठी का शुभारंभ किया गया। संगोष्ठी का संचालन प्राध्यापक डॉ हंसा व्यास द्वारा किया गया। संगोष्ठी में उपस्थित अतिथियों द्वारा पर्यटन और विरासत प्रबंधन विषय पर अपने अपने विचार साझा किए गए। इससे पूर्व अतिथियों द्वारा पर्यटन एवं विरासत विषय पर लगाई गई आकर्षक प्रदर्शनी का अवलोकन किया गया।
पंडित भवानी शंकर मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा कि नर्मदापुरम जिले में पर्यटन की अपार संभावनाएं विद्यमान हैं यहां का सांस्कृतिक परिदृश्य समृद्ध और गौरवशाली हैं। मध्यप्रदेश सरकार ने भी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक जिला एक उत्पाद में नर्मदापुरम जिले के लिए पर्यटन का चयन किया है। उन्होंने उदाहरण स्वरूप समझाया कि पर्यटन कैसे रोजगार सर्जन के साथ ही हमारी समझ के विकास में भी सहायक है। उन्होंने कहा कि हमारे मनीषियों ने घूम घूम कर हमारी सांस्कृतिक विरासत को खोजा है। इसी घुमंतू जिज्ञासा से ही किसी भी चीज को देखने की समझ आती है। नर्मदापुरम की गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत को समझने, सहेजने और विश्व को रूबरू कराने की आवश्यकता है।
कलेक्टर श्री सिंह ने संगोष्ठी में उपस्थित छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि नर्मदापुरम को टूरिज्म कैपिटल बनाने के लिए निजी सहभागिता और नवीन आइडिया बहुत जरूरी है। किसी भी नए आइडिया को पूरा करने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जो छात्र जिले में टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए बेस्ट प्रपोजल बनाएगा, उसे सभी शासकीय स्वीकृति प्रदान करते हुए क्रियान्वित किया जायेगा। उन्होंने बताया कि नर्मदापुरम की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को सहेजने और संरक्षित करना हम सभी की जिम्मेदारी है।
कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि नर्मदापुरम जिले में विद्यमान पर्यटन के अकूत भंडार को अभी काफी एक्सप्लोर करने की अवश्यकता है। कैसे हम बाहरी राज्यों से आने वाले पर्यटकों को पचमढ़ी के अलावा जिले के अन्य पर्यटन स्थलों के प्रति आकर्षित कर सके इस दिशा में कार्य की आवश्यकता है। कैसे एक क्लिक पर पर्यटकों को पर्यटक स्थल पर पहुंचने से लेकर सभी सुविधाए उपलब्ध करवाई जा सके। यह सुविधा उपलब्ध करवाने वाले के पास बेस्ट बिजनेस अपॉर्चुनिटी है।
कलेक्टर श्री सिंह ने विरासत प्रबंधन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विरासत का संरक्षण हमारे घर से शुरू होता है,अगर हम अपने आसपास के महत्वपूर्ण सांस्कृतिक विरासत के महत्व को नहीं समझेंगे और उसे सवारने की दिशा में कार्य नहीं करेंगे, तो वह धीरे-धीरे अपने महत्व खो देगा। कलेक्टर श्री सिंह ने बताया कि कैसे आज भीमबेटका कि शेल चित्रकलाएं यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल है और आदमगढ़ की पहाड़िया जागरूकता के अभाव में धीरे-धीरे अपना महत्व खो रही है। हमारी संस्कृति विरासत को सहजने की आवश्यता है।
संगोष्ठी में मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के परीक्षा नियंत्रक श्री एम एल जैन ने पर्यटन से रोजगार सर्जन विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि पर्यटन शब्द नया है किंतु अवधारणा प्राचीन है। उन्होंने कहा कि हमारे इतिहास में आध्यात्मिक यात्रा जैसे चार धाम का विशेष महत्व है। उत्तराखंड राज्य में यह यात्रा रोजगार का महत्वपूर्ण स्रोत है। नर्मदापुरम जिले में कदम कदम पर पर्यटन की संभावनाएं विद्यमान है।
सांची बौद्ध विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉक्टर अलकेश चतुर्वेदी ने कहा पर्यटन बिना निवेश का व्यवसाय हैं। नर्मदापुरम का ऐतिहासिक , सांस्कृतिक इतिहास समृद्धशाली है। नर्मदा महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ ओ एन चौबे एवं संयोजक डॉ बीसी जोशी ने भी नर्मदापुरम जिले में पर्यटन की संभावना विषय पर प्रकाश डाला। डॉ चौबे ने कहा कि पर्यटन विषय पर संगोष्ठी जिले में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मील का पत्थर साबित होगी। इस संगोष्ठी से निकले सार को प्रकाशित किया जाएगा।
कार्यक्रम में विधायक प्रतिनिधि श्री चौकसे, एन ई एस के संचालक डॉक्टर अरुण शर्मा सहित पर्यटन, पुरातत्व आदि विषयों के विषय विशेषज्ञ सहित महाविद्यालय के छात्र उपस्थित रहे।
What's Your Reaction?