जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) को कमिश्नर ने किया सस्पेंड, बेलसरा आदिवासी बालिका छात्रावास मामले में हुई कार्यवाही
उमरिया (संवाद)। उमरिया जिले का बहुचर्चित बेलसरा आदिवासी बालिका छात्रावास मामले में कलेक्टर के द्वारा बड़ी कार्यवाही की गई है। जिसमें छात्रावास की वार्डन के बाद अब जिले के स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख जिला परियोजना समन्वयक के ऊपर गाज गिरी है। जिले में पदस्थ डीसी को भी सस्पेंड कर दिया गया है।
दरअसल बीते दिनों उमरिया जिले के बेलसरा गांव में स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस आदिवासी बालिका छात्रावास में छात्रावास में रहने वाली बालिकाओं की अचानक तबियत बिगड़ने और दर्जन पर छात्रों को चक्कर आने के मामले मैं जांच के बाद अब कलेक्टर उमरिया बुद्धेश कुमार वैद्य के द्वारा बड़ी कार्यवाही की गई है। जिसमें जिले में पदस्थ जिला परियोजना समन्वयक श्रीमती सुमिता दत्ता को कलेक्टर की अनुशंसा पर कमिश्नर शहडोल ने निलंबित कर दिया है।
कमिश्नर शहडोल के द्वारा जारी निलंबन आदेश में उल्लेख किया गया है कि जिला परियोजना समन्वयक श्रीमती अमिता दत्ता के द्वारा बेलसर स्थित छात्रावास में पदस्थ वार्डन को बालिकाओं की तबीयत बिगड़ने और उनके मन में तंत्र-मंत्र की शंका होने की जानकारी होने के बावजूद भी उनके द्वारा कोई भी दिशा निर्देश नहीं दिए गए। इसके अलावा उन्होंने अपने अधीनस्थों के माध्यम से भी इस मामले को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई गई है। कलेक्टर के द्वारा तहसीलदार और शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मामले की जांच में यह खुलासा हुआ है।
जिला परियोजना समन्वयक डीपीसी के द्वारा वार्डन या छात्रावास की बालिकाओं के तंत्र मंत्र वाले शंका समाधान करने की बजाय उन्हें घर भेज देने की सलाह दी गई। इस कारण जिला परियोजना समन्वयक की कार्य प्रणाली उनकी नैतिक दायित्व और विभागीय जिम्मेदारी के प्रति संदेहास्पद उदासीन रहा है। इसलिए जांच रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर बुद्धेश कुमार वैद्य के द्वारा जिला परियोजना समन्वय के ऊपर कार्यवाही किए जाने का प्रस्ताव कमिश्नर शहडोल को भेजा था।
बता दें कि जिस दिन बेलसर स्थित छात्रावास में दर्जन पर बालिकाओं की तबीयत बिगड़ी थी और उन्हें चक्कर आने और बेहोश होने की स्थिति बनी थी उसे दिन भी छात्रावास की वार्डन के द्वारा लापरवाही बरती गई। वहीं जांच अधिकारियों के समक्ष छात्रावास की बालिकाओं के द्वारा बताया गया कि उन्हें मीनू के आधार पर भोजन या नाश्ता नहीं दिया जाता है। इसके अलावा यह भी बताया गया कि कभी कभार उन्हें भोजन भी नहीं दिया जाता इसी कारण बालिकाओं को कमजोरी हो जाने से उनके साथ चक्कर आने जैसे हालात निर्मित हुए थे। तब उमरिया कलेक्टर बुद्धेश कुमार वैद्य के द्वारा प्रथम दृष्ट्या छात्रावास की वार्डन को तत्काल निलंबित कर दिया था।
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