बांधवगढ़ क्षेत्र की जैव विविधता और पुरातत्व संपदा का संरक्षण और संवर्धन किया जाएगा - कमिश्नर
उमरिया । राष्ट्रीय बांधवगढ़ नेशनल पार्क क्षेत्र एवं उसके आस पास के क्षेत्रों में बिखरी पुरा संपदा के संरक्षण के प्रयास किए जा रहे है। कमिश्नर शहडोल संभाग श्री राजीव शर्मा की पहल पर बांधवगढ़ क्षेत्र की पुरा संपदा के संरक्षण और संवर्धन के लिए क्या प्रयास किए जा सकते है तथा पुरा तत्व संपदा का संरक्षण और संवर्धन कैसे किया जा सकता है, इस संबंध में आज बांधवगढ़ नेशनल पार्क मे कमिश्नर शहडोल संभाग श्री राजीव शर्मा की अध्यक्षता में जिला प्रशासन बांधवगढ़ नेशनल पार्क प्रबंधन एवं पुरातत्व विभाग के उच्च अधिकारियों की बैठक संपन्न हुई । बैठक में कलेक्टर उमरिया संजीव श्रीवास्तव, क्षेत्र संचालक बांधवगढ़ नेशनल पार्क बी एस अन्नीगेरी, अधीक्षण पुरातत्व विभाग श्री वाजपेयी सहित अन्य अधिकारी शामिल हुए।
बैठक को संबोधित करते हुए कमिश्नर शहडोल संभाग राजीव शर्मा ने कहा कि हम सभी लोग एक विरासत के दर्शक है । जो विरासत हमें मिली है उसे संरक्षित और सवंर्धित करना हम सभी का दायित्व है। उन्होंने कहा कि बांधवगढ़ क्षेत्र में मौर्य काल ,वाकाटक, कल्चुरी काल, गोंड कालीन, पुरा संपदा बिखरी पड़ी है। जिसे संरक्षित करना हम सभी का दायित्व है। उन्होंने कहा कि यह काम पहले हो जाना चाहिए था । बांधवगढ़ क्षेत्र मे अमूल्य पुरातात्विक धरोहर के संरक्षण के लिए पुरातत्व विभाग ने पहल की है। मैं उनका ह्दय से स्वागत करता हूं। कमिश्नर ने कहा कि बांधवगढ़ क्षेत्र की पुरातात्विक संपदा के संरक्षण के लिए प्रशासन अपेक्षित सहयोग करेगा । इस क्षेत्र की पुरातात्विक संपदा के संरक्षण और संवर्धन हेतु हम सभी सकारात्मकता के साथ कार्य करेंगे। कमिश्नर ने कहा कि बांधवगढ़ क्षेत्र की जैव विविधता के साथ साथ पुरातात्विक विरासत का भी संरक्षण हो इसके प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस संबंध मे जो भी प्रक्रिया है उसको सुगम बनानें केे प्रयास किए जाएंगे। जिला प्रशासन की पहल से बांधवगढ़ क्षेत्र की पुरा संपदा एवं जैव विविधता का संरक्षण एवं संवर्धन होगा।
बैठक में अधीक्षण पुरातात्विक डा0 शिवाकांत वाजपेयी ने बताया कि बांधवगढ़ क्षेत्र मे बहुत सी पुरातात्विक संपदा है । जिन्हें संरक्षित नही कर पाए है। उन्होंने बताया कि बांधवगढ़ फोर्ट , शेष शौय्या, कबीर मंदिर, ब्रम्हलिपि केे शिलालेख एवं अन्य बहुत सी पुरातात्विक संपदा बिखरी पड़ी है। उन्होंने बताया कि बांधवगढ़ क्षेत्र में वाकाटक वंश, कल्चुरी वंश, मौर्य वंश एवं गांेंड शासकों ने लंबे समय तक शासन किया है। उनके काल की पुरा संपदा बिखरी पड़ी है । कई ऐतिहासिक महत्व के शिलालेखों का संरक्षण आवश्यक है जिन्हें संरक्षित करनें की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वन विभाग एवं जिला प्रशासन की बगैर सहमति और सहयोग के यह कार्य किया जाना संभव नही है। बैठक मे उन्होंने बताया कि पुरा संपदा के संरक्षण और संवर्धन के लिए पुरातत्व विभाग जिला प्रशासन के माध्यम से शासन को प्रस्ताव तैयार करके भेजेगा ।
बैठक को क्षेत्र संचालक बांधवगढ नेशनल पार्क बी एस अन्नीगेरी ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत इला तिवारी, उप अधीक्षक पुरातात्विक कमलकांत वर्मा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
What's Your Reaction?