संचालक लोक अभियोजन संचालनालय भोपाल के आदेशानुसार नये आपराधिक संहिताओं के क्रियान्‍वयन हेतु एक दिवसीय संयुक्‍त कार्यशाला का आयोजन

Feb 25, 2024 - 19:25
 0  91
संचालक लोक अभियोजन संचालनालय भोपाल के आदेशानुसार नये आपराधिक संहिताओं के क्रियान्‍वयन हेतु एक दिवसीय संयुक्‍त कार्यशाला का आयोजन

शहडोल ।   दिनांक 23.02.24 को पंडित शंभूनाथ शुक्‍ला महाविद्यालय सभागार, शहडोल में किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्‍य अतिथि डी0सी0 सागर, एडीजीपी. शहडोल जोन ने इन नये कानूनों के प्रावधानों पर पावर प्‍वाइंट के माध्‍यम से प्रकाश डाला:-

  1. ई-एफआई, जीरो एफआईआर के प्रावधान भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (बीएनएसएस) में अंतर्निहित एवं सीआरपीसी 154 की एफआईआर हुई भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (बीएनएसएस) की धारा 173 बीएनएसएस।
  2. भारत में आपराधिक कानूनों का इतिहास।
  3. पुराने कानून की धारा एवं नये कानून की धारा में अंतर- जैसे पुराने कानून में हत्‍या धारा 302 भादवि के तहत थी जो अब बदलकर 103(1) बीएसए.(भारतीय न्‍याय सहिता,2023) हो गई है इसी प्रकार  अपहरण 363 भादवि के स्‍थान पर 137(2) बीएसए., चोरी 379 भादवि के स्‍थान पर 303(2) बीएसए., लूट 392 भादवि के स्‍थान पर 309(4) बीएसए., डकैती 395 भादवि के स्‍थान पर 310(2) बीएसए. आदि..
  4. राजद्रोह के स्‍थान पर देशद्रोह का प्रावधान- देशद्रोह के अंतर्गत(i)फूट, सशस्त्र विद्रोह, या विध्वंसक गतिविधियों को उत्तेजित करना या उत्तेजित करने का प्रयास करना, (ii) अलगाववादी गतिविधियों की भावनाओं को प्रोत्साहित करना या (iii) भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालना। इन अपराधों में शब्दों या संकेतों का आदान-प्रदान, इलेक्ट्रॉनिक संचार या वित्तीय साधनों का उपयोग आदि के संबंध में नये प्रावधान।
  5. संगठित अपराध के लिए नये प्रावधान-संगठित अपराध में अपहरण, जबरन वसूली, कॉन्ट्रैक्ट पर हत्या, जमीन पर कब्जा, वित्तीय घोटाले और अपराध सिंडिकेट की ओर से किए गए साइबर अपराध जैसे में मृत्यु कारित होने पर मौत या आजीवन कारावास और 10 लाख रुपए का जुर्माना।
  6. आतंकवाद के लिए नये प्रावधान- (i) देश की एकता, अखंडता, सुरक्षा या आर्थिक सुरक्षा को खतरे में डालना,(ii) भारत में लोगों या लोगों के किसी भी वर्ग में आतंक पैदा करना। आतंकवाद का प्रयास करने या आतंकवाद करने के लिए  (i) मौत या आजीवन कारावास, और जुर्माना का प्रावधान। 
  7. मॉब लिंचिंग के लिए नये प्रावधान- जाति, भाषा या व्यक्तिगत विश्वास जैसे कुछ पहचान चिह्नों के आधार पर पांच या अधिक व्यक्तियों के समूह द्वारा हत्या, सात साल से लेकर आजीवन कारावास या मौत तक की सज़ा का प्रावधान।
  8. महिलाओं एवं बच्‍चों के प्रति अपराध और नये कानून- विवाह के झूठे वादे पर महिलाओं के साथ यौन संबंध बनाने के लिये 10 वर्ष की कैद का प्रस्ताव है, 18 वर्ष से कम उम्र की महिला के बलात्कार के अपराध में आजीवन कारावास औऱ मृत्यु दंड का प्रावधान। गैंगरेप के मामलों में 20 साल या ज़िंदा रहने तक की सज़ा का प्रावधान। मानव और शरीर संबंधित अपराधों जैसे, बलात्कार, गैंगरेप, बच्चों के खिलाफ अपराध, हत्या, अपहरण और ट्रैफिकिंग आदि को प्राथमिकता।
  9. ई-एफआईआर – माताएं और बहने जो शर्म की वजह से पुलिस थाने में नहीं जाती हैं, वे अपने घर से या किसी के मोबाइल से भी इसको एप्रोच कर सकती हैं। इसका भी प्रावधान नये कानून में किया गया है।
  10. प्रौद्योगिकी एवं फॉरेन्सिक – इसमें क्राइम सीन, इन्‍वेस्टिगेशन और ट्रायल- इन तीनों चरणों में टेक्‍नोलॉजी को कम्‍पलसरी किये जाने का प्रावधान, एफआईआर, केस डायरी, चार्जसीट, जजमेन्‍ट को डिजिटाइज्‍ड किया जाना, सर्च और जप्‍ती की वीडियोग्राफी आदि।
  11. पीडित़ का सूचना का अधिकार- पीडित़ को अब फ्री में एफआईआर की एक प्रति प्राप्‍त करने का अधिकार है। कानून पीडित़ों को 90 दिवस के भीतर जांच की प्रगति के बारे में सूचित करने और उन्‍हें समय पर अपडेट करने का प्रावधान।
  12. 3 दिन के भीतर FIR दर्ज करना अनिवार्य-पुलिस को शिकायत के 3 दिनों में ही FIR दर्ज करना और बिना देरी किए बलात्कार पीड़िता की मेडिकल जांच रिपोर्ट 7 दिनों के अंदर पुलिस थाने और न्यायालय में सीधे भेजना अनिवार्य होगा। बता दें कि भारतीय न्याय संहिता में 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल करने की समयसीमा तय गई है। इसके साथ ही मजिस्ट्रेट को 14 दिनों में मामले का संज्ञान लेना होगा।
  13. किसी भी पुलिस स्टेशन में ज़ीरो FIR संभव- अब पीड़ित किसी भी पुलिस स्टेशन में जाकर ज़ीरो FIR करा सकता है और FIR को 24 घंटे में संबंधित पुलिस स्टेशन को ट्रांसफर कराना होगा। इसके साथ ही हर जिले और थाने में पुलिस अधिकारी को पदनामित किया है जो गिरफ्तार लोगों की सूची बनाकर उनके संबंधियों को इन्फॉर्म करेगा

          आदि के सबंध में सरल शब्‍दों में परिभाषित किया गया। कार्यशाला में श्री श्‍यामलाल कोष्‍ठा उपसंचालक अभियोजन जिला शहडोल द्वारा विशेष रूप से नये कानूनों में डिजीटल साक्ष्‍य संकलन में ध्‍यान देने योग्‍य महत्‍वपूर्ण बिंदुओं के सबंध में विस्‍तृत व्‍याख्‍यान दिया गया। श्री विश्वजीत पटैल जिला लोक अभियोजन अधिकारी जिला शहडोल द्वारा, पूराने आपराधिक कानून दंड केन्द्रित होने के साथ-साथ कानून में किस प्रकार जनता की ब्रिटिश राज/सरकार की ओर निष्‍ठा को वरीयता दी गई है, जबकि नये कानून , न्‍याय केंन्द्रित होने के साथ-साथ भारत की मूल संस्‍कृति/सरकार की जनता की ओर निष्‍ठा को वरीयता दी गई है, पर व्याख्यान दिया गया। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती कविता कैथवास सहा0 जिला लोक अभियोजन अधिकारी द्वारा किया गया। कार्यशाला में उप पुलिस महानिरीक्षक सविता सोहाने, अतिरिक्‍त पुलिस अधीक्षक अंजुलता पटले, उपपुलिस अधीक्षक अंकिता सुल्या, आर0के0 चतुर्वेदी अति0डीपीओ ब्‍यौहारी, आर0 के0 रावत अति0डीपीओ बुढ़ार एवं जिले के समस्‍त सहा0 जिला लोक अभियोजन अधिकारी, थाना कोतवाली, अमलाई, गोहपारू, महिला थाना के थाना प्रभारी सहित अन्‍य पुलिस अन्‍वेषण अधिकारी एवं अभियोजन कर्मचारी उपस्थित रहे।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow