विश्व गीता दिवस पर महाविद्यालय में कार्यक्रम आयोजित

Dec 11, 2024 - 23:43
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विश्व गीता दिवस पर महाविद्यालय में कार्यक्रम आयोजित

उमरिया। विश्व गीता दिवस के अवसर पर महाविद्यालय पाली में कार्यक्रम आयोजित किया गया।

          *संयम* का अर्थ है अपने विचारों, इच्छाओं, और कार्यों पर नियंत्रण रखना। यह एक मानसिक और शारीरिक अनुशासन है, जिसमें व्यक्ति अपनी इच्छाओं और प्रवृत्तियों को सही दिशा में नियंत्रित करता है। संयम हमारे जीवन में संतुलन और स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है।

संयम : अपने विरुद्ध खुद का युद्ध** हाँ,  संयम को अपने विरुद्ध खुद का युद्ध कहा जा सकता है। इसका कारण यह है कि हमारे भीतर कई तरह की इच्छाएँ और भावनाएँ होती हैं, जो हमें अक्सर गलत दिशा में ले जाती हैं। संयम का मतलब है इन इच्छाओं और भावनाओं को समझना और उन पर नियंत्रण पाना, ताकि हम अपने उच्चतर लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें। यह अपने भीतर की कमजोरियों, जैसे क्रोध, लोभ, ईर्ष्या, आलस्य, और अज्ञानता के खिलाफ लड़ाई है। यह लड़ाई आसान नहीं होती, क्योंकि यह आत्म-प्रशिक्षण और निरंतर प्रयास की मांग करती है।

 संयम के लाभ

मानसिक शांति:  संयमित व्यक्ति अपने मन को शांत और स्थिर रख पाता है। यह चिंता, तनाव और अव्यवस्था से बचने में मदद करता है। 2. सफलता:  संयमित व्यक्ति अपने लक्ष्यों पर केंद्रित रहता है और व्यर्थ की बातों में समय और ऊर्जा नहीं गंवाता।

3. स्वास्थ्य:  संयम भोजन, नींद, और अन्य शारीरिक गतिविधियों में संतुलन बनाए रखने में मदद करता है, जिससे स्वास्थ्य अच्छा रहता है। 4. संबंधों में सुधार:  संयमित व्यक्ति अपने व्यवहार को नियंत्रित कर पाता है, जिससे रिश्तों में मधुरता आती है।

5. आत्म-सम्मान:  जब हम संयमित रहते हैं, तो आत्म-नियंत्रण की भावना हमें गर्व और संतुष्टि का अनुभव कराती है।

 संयम क्यों जरूरी है?

जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए:  अत्यधिक इच्छाएँ और लालच जीवन में असंतुलन पैदा कर सकते हैं। संयम हमें जीवन में संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। 

आत्म-विकास के लिए:  संयम से हम अपनी कमजोरियों पर विजय पाते हैं और अपने चरित्र को मजबूत बनाते हैं। 

 सामाजिक जिम्मेदारी के लिए:  संयम हमें दूसरों के प्रति संवेदनशील और जिम्मेदार बनाता है। 

संयम को कैसे अपनाएँ?

1.  स्वयं को जानें: अपनी कमजोरियों और इच्छाओं को पहचानें।

 2. ध्यान और प्रार्थना: ध्यान करने से मन को स्थिरता मिलती है और आत्म-नियंत्रण बढ़ता है।

3. नियमित अभ्यास:  संयम को जीवन में उतारने के लिए छोटे-छोटे अभ्यास करें।

4. धैर्य रखें:  संयम को अपनाना समय लेता है, इसलिए धैर्यपूर्वक प्रयास करें। संयम एक साधना है, जो व्यक्ति को भीतर से मजबूत बनाती है और उसे जीवन में सच्ची खुशी और सफलता की ओर ले जाती है।

 

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