बिरसा मुंडा जयंती के अवसर पर ग्राम  डगडौआ में कार्यक्रम संपन्न

Nov 16, 2022 - 11:09
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बिरसा मुंडा जयंती के अवसर पर ग्राम  डगडौआ में कार्यक्रम संपन्न

बिरसा मुंडा भारत के एक आदिवासी सेनानी और लोक नायक थे-विधायक बाँधवगढ़।

उमरिया 15 नवंबर। बिरसा मुंडा भारत के एक आदिवासी सेनानी और लोक नायक थे, जिनकी ख्याति अंग्रेजों के खिलाफ स्वातंत्रता संग्राम मे काफी हुई थी। उनके द्वारा चलाया जाने आंदलोन ने बिहार और झारखंड में प्रभाव डाला। केवल 25 वर्ष की उम्र में इतने मुकाम हासिल कर लिए थे कि आज भी भारत की जनता उन्हें याद करती है , इस आशय के  विचार विधायक बाँधवगढ़ शिव नारायण सिंह ने जनपद करकेली पंचायत के ग्राम  डगडौआ में आयोजित बिरसा मुंडा कार्यक्रम को संबोधित करते हुए व्यक्त की ।  उन्होंने संबोधित करते हुए कहा कि बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर को रांची जिले के उलिहतु गांव में हुआ था। मुंडा रीति रिवाज के अनुसार उनका नाम वृहस्पतिवार के हिसाब से बिरसा रखा गया था। बिरसा के माता पिता का नाम सुगना मुंडा और माता का नाम करमी हटू था।



          बिरसा मुण्डा ने आदिवासियों की जामीन छीनने, लोगो को इसाई बनाने और युवतियों को दलालों द्वारा उठा ले जाने वाले कुकृत्यों को अपनी आँखों से देखा था जिससे उनके मन में अंग्रेजों के अनाचार के प्रति क्रोध की ज्वाला भड़क उठी थी अब बिरसा के इसके विद्रोह में लोगो को इकट्ठा किया और उनके नेतृत्व में आदिवासियों का विशाल विद्रोह हुआ अंग्रेज सरकार ने विद्रोह का दमन करने के लिए 3 फरवरी 1900 को मुंडा को गिरफतार कर लिया जब वो अपनी आदिवासी गुरिल्ला सेना के साथ जंगल में सो रहे थे उस समय 460 आदिवासियों को भी उनके साथ गिरफतार किया गया । 19 जून 1900 को रांची जेल में उनकी रहस्मयी तरीके से मौत हो गयी और अंग्रेज सरकार ने मौत का कारण हैजा बताया था जबकि उनमें हैजा के कोई लक्षण नही थे केवल 25 वर्ष की उम्र में उन्होने ऐसा काम कर दिया कि आज भी बिहार, झारखंड और उड़ीसा की आदिवासी जनता उनको याद करती है और उनके नाम पर कई शिक्षण संस्थानों के नाम रखे गये है।

          कलेक्टर कृष्ण देव त्रिपाठी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि बलिदानी राष्ट्र भक्त बिरसा मुंडा की जीवनी से सभी को प्रेणना लेनी चाहिये। बिरसा मुण्डा का परिवार वैसे तो घुमक्कड़ जीवन व्यतीत करता था ।बिरसा बचपन से अपने दोस्तों के साथ रेत में खेलते रहते थे और थोड़ा बड़ा होने पर उन्हे जंगल में भेड़ चराने जाना पड़ता था । जंगल में भेड़ चराते वक्त समय व्यतीत करने के लिए बाँसुरी बजाया करते थे और कुछ बाँसुरी बजाने में उस्ताद हो गये थे । उन्होने कद्दू से एक तार वाला वादक यंत्र तुइला बनाया था जिसे भी वो बजाया करते थे। उनके जीवन के कुछ रोमांचक पल अखारा गाँव में बीते थे ।

          कार्यक्रम का शुभारंभ कन्या पूजन करके किया गया । इस अवसर पर सी ई ओ जिला पंचायत इला तिवारी , अपर कलेक्टर आशोक ओहरी, जमीन दान दाता नत्थू कोल, सरपंच सहित अन्य जनों ने बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यापर्ण किया. कार्यक्रम के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। गुदुम की प्रस्तुति ने सभी को अपनी ओर आकर्षित किया। वहीं सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां देखकर उपस्थित जन समुदाय भाव विभोर हो गए ।

          कार्यक्रम के दौरान नत्थू  कोल ग्राम महुरा , जगन कोल, जगाली कोल, जन्नू कोल, कल्लू कोल, बलगुंदी कोल ग्राम डगडौआ को सम्मानित किया गया। ग्राम डगडौआ में आयोजित कार्यक्रम में मीना सिंह जिला पंचायत सदस्य ,पूनम साहू जनपद उपाध्यक्ष करकेली, जनपद सदस्य कांति सिंह, बिंद्रा सिंह, भूपेंद्र सिंह, योगेश द्विवेदी, राजेश सिंह पंवार, इंद्रपाल सिंह, सरपंच राज कुमार, सचिव देवेंद्र द्विवेदी, ग्राम रोजगार सहायक सहित ग्रामीण जन उपस्थित रहे।

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