मोहर्रम के मातमी त्योहार को लेकर इमामबाड़ा मोहर्रम कमेटी की बैठक सम्पन्न
मातवी पर्व मोहर्रम में परम्परागत धुन में शेर नृत्य करे
उमरिया। मुख्यालय स्थित ईमाम बाड़ा में चांद रात के एक दिन पहले मातमी पर्व मोहर्रम में जायरीनों की सुरक्षा की व्यवस्था को लेकर एक बैठक आयोजित की गई इस मौके पर इमामबाड़ा कमेटी के पदाधिकारियों सहित कार्यकर्ता उपस्थित रहे। इस मौके पर कमेटी ने निर्णय लिया कि मोहर्रम पर्व परम्परागत व शालीनतापूर्वक मनाया जाएगा।
बताया गया कि चाँद दिखने के बाद अगले दिन से मोहर्रम की एक तारीख हो जाती है और निर्धारित समय के अनुसार पर्व की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है। मोहर्रम पर्व की पहली तारीख से परम्परा अनुसार अपनी अपनी मन्नते पूरी करने जायरीन शेर का रुप धारण कर नृत्य करते हुए इमामबाड़ा में हाजरी लगाते है। बैठक में विशेष रूप से निर्णय लिया गया कि शेर बनने वाली टोली शालीनतापूर्वक बाजे की धुन में ही नृत्य करे। शेर नृत्य के दौरान डीजे, केशियो, व अन्य प्रकार के धुन न बजाए । विगत दो सौ वर्षों से जो तासा , ढोल , बासुरी की धुन में शेर नृत्य करते हुए परम्परा के मुताबिक पर्व का लुत्फ लेवें। इसके अलावा शेर के पोशाक में हड़ताल व पीले रंग का पाऊडर लगाकर ही शेर बने। एक ही स्थान पर अधिक समय तक नृत्य न करे ऐसा करने से आवागमन अवरुद्ध होता है। बताया गया कि डीजे, केशियो रूपी बाजा बजाने से ध्वनि प्रदूषण का प्रभाव पड़ता है और जो लोग बीमारी से ग्रसित है ऐसे लोग प्रभावित होते है इन सब बातों का विशेष ध्यान देते हुए खासकर इमामबाड़ा परिसर में इस तरह की धुन में शेर नृत्य न करे।
कमेटी का कहना है कि पिछले 200 वर्षों से जिस परम्परागत तरीके व मोहब्बत के साथ उमरिया शहर में मोहर्रम पर्व मनाया जा रहा है उसी परम्परा को कायम रखते हुए मोहब्बत पेश करे। इमामबाड़ा कमेटी के पदाधिकारियों के अनुसार सम्भवतः आज 30 जुलाई को चाँद दिखेगा तो 31 जुलाई को मोहर्रम पर्व की पहली तारीख हो जाएगी। कमेटी ने शासन- प्रशासन से मातवी पर्व मोहर्रम के मौके पर सहयोग की अपील की है ।
वही इमामबाड़ा कमेटी के वरिष्ठ पदाधिकारी मेहंदी हसन ने सभी को कमेटी का सदस्य बताते हुए कहा कि हम सब को एक साथ मिलकर भाईचारा, कौमी एकता की मिसाल पेश कर पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष भी मोहब्बत के साथ त्योहार मनाना है । उन्होंने शेर नृत्य टोलियां से आग्रह किया है कि बाबा हुजूर की सवारी में जो बाजे की धुन बजती है उसी मातमी धुन में शेर नृत्य करे। इसके अलावा बीमारी से ग्रसित लोगों का ध्यान रखते हुए डीजे आदि किसी प्रकार का बाजा तेज ध्वनि में न बजाए। इस दौरान शासन - प्रशासन का सहयोग करें जिससे भाईचारे के साथ मातमी पर्व मोहर्रम मनाया जा सके।
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