मोहर्रम शरीफ की सातवीं तारीख (शनिवार)को उठेगी बाबा हुजूर की सवारी

Aug 6, 2022 - 11:58
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मोहर्रम शरीफ की सातवीं तारीख (शनिवार)को उठेगी बाबा हुजूर की सवारी

उमरिया।  इंशाअल्लाह मोहर्रम शरीफ की सातवीं तारीख यानी शनिवार को रात्रि 11- 12 बजे के दरमियान  बाबा हुजूर की सवारी उठेगी। बाबा हुजूर की सवारी गश्त के लिए इमामबाड़ा से रवाना होकर शहर की जामा मस्जिद, कैम्प स्थित मस्जिद सहित अन्य स्थलों से होते हुए इमामबाड़ा पहुचेगी।

 उमरिया नगर में पहली बार सवारी सन 1882 में आमद हुई

            नगर के मोहर्रम के प्रसिद्धी का कारण उमरिया वाले बाबा हुजूर की सवारी है । इमामबाड़ा मोहर्रम कमेटी के वरिष्ठ पदाधिकारी मेंहदी हसन ने बताया कि उमरिया नगर में उमरिया वाले बाबा हुजूर की सवारी सन १८८२ में पहली बार आमद हुई थी ।  नगर में प्रथम सवारी स्व.माधव सिंह जी को आई थी जो उनके पर्दा करने तक बदस्तूर आमद होती रही । बाबा माधव सिंह जी को ४० वर्ष तक सैय्यदना उमरिया वाले बाबा हुजूर की सवारी की आमद हुई थी। बाबा माधव सिंह जी के पर्दा करने के बाद बाबा फूल सिंह जी को निरंतर ७० वर्ष तक सैय्यदना उमरिया वाले बाबा हुजूर की सवारी की आमद होती रही । बाबा फूल सिंह जी के पर्दा करने के बाद विगत 27 वर्षो से बाबा सुशील सिंह जी को सैय्यदना उमरिया वाले बाबा हुजूर की सवारी की तशरीफ आमद होती चली आ रही है जो बदस्तूर जारी है ।  

          मेंहदी हसन ने बताया  कि बाबा फूलसिंह के बाद करीब 2-3 वर्षों के पश्चात बाबा सुशील सिंह जी को सवारी आमद हुई। लोगो का मानना है कि इस उमरिया नगरी में बाबा हुजूर के करम से रहमत की बारिश से लाखो लोग मालामाल होते चले आ रहे है । जिसने भी सैय्यदना उमरिया वाले बाबा हुजूर का दामन थामा वह मरते दम तक बाबा हुजूर से क्षण भर भी गाफिल न हुआ । पीढ़ी दर पीढ़ी बाबा हुजूर का दामन थामे चले आ रहे है और अपने खानदान के वारिसों को त-कयामत तक बाबा हुजूर का दामन थामे रहने की हिदायत देते चले आ रहे है ।

          ज्ञात हो कि मुरादगाह में सजावट का कार्य कई दशको से शहर की प्रसिद्ध फर्म  दीपक टेण्ट हाउस द्वारा किया जाता है और संतोष साउण्ड सर्विस द्वारा नि:शुल्क कार्य किया जाता है । वहीं श्री मातेश्वरी दुर्गा पूजा सेवा समिति कैम्प द्वारा सन १९७५ से सारी रात नि:शुल्क चाय का वितरण किया जाता है इसी प्रकार समूचे शहर में लंगर वितरण, चाय, शरबत, पूडी -सब्जी (भण्डारा) का वितरण कार्य मोहर्रम शरीफ की नवमी एवं दसमी के दिन किया जाता है । मोहर्रम की पहली तारीख से निरंतर १० तारीख तक इमामबाड़ा के खादिमों द्वारा लंगर तकसीम किया जाता है।

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